Sunday, 7 July 2019

कैसे करें साधना

कैसे करें साधना ?

श्री आद्य शंकराचार्य कहते हैं , आपका चित्त है वस्त्र ।

कर्मकाण्ड #पानी है ,  कृष्णभक्ति #क्षार (रीठा/साबुन आदि)  है ।

जैसे पानी के साथ में   क्षार (रीठा/ साबुन आदि ) लगाने से वस्त्र अच्छी तरह  चमक जाते हैं, वैसे ही  कर्मकाण्ड के साथ में कृष्ण भक्ति करने पर चित्त शुद्ध हो जाता है ।

[वसनमिव क्षारोदैर्भक्त्या प्रक्षाल्यते चेतः।। - श्री आद्य शंकराचार्य ।]

केवल पानी से जमा मैल नहीं छूट पाता, साथ में क्षार की भी आवश्यकता पड़ती है , इसीलिये श्री आद्य शंकराचार्य कहते हैं शुद्ध्यति  हि नान्तरात्मा  कृष्णपदाम्भोजभक्तिमृते ; और यदि जल  नहीं लगायेंगे तो  केवल क्षारमात्र से मैल और बढ़ने की सम्भावना हो जाती है ।

इसलिये  जैसे  पानी  और क्षार दोनों से वस्त्र अच्छी तरह स्वच्छ होता है , वैसे ही  नित्य -नैमित्तिक -प्रायश्चित्त  कर्म  और  श्रीकृष्ण भक्ति  दोनों ही आवश्यक हैं   ।  

पहले पानी से  अच्छी तरह वस्त्र  भिगाइये,   क्षार (रीठा/साबुन आदि)  लगाकर   वस्त्र को खूब अच्छी तरह रगड़िये , फिर से पानी से धो लीजिये । जैसे  वस्त्र धोया जाता है ,  वैसे  ही चित्त भी शुद्ध किया जाता है ।

[नित्यकर्म - संध्या, स्वाध्याय आदि पंच महायज्ञ
नैमित्तिक कर्म - सोलह संस्कार आदि
प्रायश्चित्त कर्म - चान्द्रायणव्रत  आदि ]

#प्रतिलिपि(कॉपी-पेस्ट) सदैव स्वागत है ।

साभार - श्री आद्यशंकराचार्य

।। श्री राम जय राम जय जय राम ।।

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