Thursday, 11 July 2019

पूर्णपात्र का रहस्य

#पूर्णपात्र_रहस्य

यज्ञ में ब्रह्माजी का पद सबसे वरिष्ठ होता है ‌ ।यह सृष्टि भी यज्ञस्वरूप ही है।
#यज्ञेन_यज्ञमयजन्तदेवा:......
यह सृष्टि अन्नब्रह्म से जीवन धारण करती है। अतः यज्ञ में ब्रह्माजी के निमित्त पूर्णपात्र प्रदान करने का विधान है और #पूर्णपात्र से अभिप्राय पूर्ण ब्रह्म परमात्मा को ही संतुष्ट करना है पूर्ण से पूर्ण लेकर भी जो पूर्ण है।
इस पूर्णपात्र में 256 मुट्ठी चावल भरने का विधान है।

256 ही क्यों?

इसका उत्तर भगवती पराचिति के निर्देशानुसार बता रहे हैं।
यह  चरक  ऋषि के अनुसार एक #कुडव का बोधक है।
प्राचीन परिमाण इस प्रकार समझें---

कर्ष = १ पल; २ पल = १ प्रसृति

२ प्रसृति = १ कुड़व; ४ कुड़व = १ प्रस्थ

४ प्रस्थ = १ आढ़क; ४ आढ़क = १ द्रोण

चरक की मानपद्धति में द्रोणभार १०२४ तोले का होता है।
चरक का कुड़व २५६ तोले का है।

अभिप्राय यह है कि 256 मुट्ठी चावल भरने का अभिप्राय 256 तोला चावल भरने से है।

256 चंद्रमा की सोलह कलाओं के माध्यम से पूर्णता का बोधक है।तथा भगवती षोडशी की समस्त तिथियों की नित्याओं सहित समस्त देवताओं को 16  कला स्वरूप मानकर उनको 16 उपचार या दान स्वरूप अक्षत समर्पण करके 16×16=256 को समर्थित किया गया है।

षोडश परिमाणा:
षोड़शसङ्ख्यक वस्तुनि:-

#भूम्यासनं जलं वस्त्रं
प्रदीपोऽन्नं ततः परम् । ताम्बूलच्छत्रगन्धाश्च
माल्यं फलमतः परम् ।
शय्या च पादुका गावः
काञ्चनं रजतं तथा ।
दानमेतत् षोडशकं।।

“स्वर्णं रौप्यं तथा ताम्रं
कांस्यं गावो गजा हयाः ।
गृहं भूमिर्वृषो वस्त्रं
शय्या क्षेत्रमुपानहौ ।
दास्यन्नं पितृयज्ञेषु दानं षोडशकं मतम्” इति वायुपुराणोक्तेषु पितृकृत्येषु देयेषु ३ स्वर्णादिषु षोडशसु च ।
अतः ब्रह्मादिस्तम्भ  पर्यन्त समस्त सृष्टि को तृप्त करना ही यहां अभिप्राय है।

#विशेष ज्ञापन

आज का #कम्प्यूटर विज्ञान भी इस परम्परा को मानने के लिए बाध्य है।
वह भी अपनी #हार्डडिस्क/माईक्रोचिप रूपी #पूर्णपात्र को भरने के लिए इसी अनुपात का अनुकरण करता है।

1 GB=
2 GB=
4 GB=
8 GB=
16 GB=
32 GB=कर्ष
64 GB=पल
128 GB= 1प्रसृति
256GB= 1 आढ़क
512 GB = 2 आढ़क
1024 GB = एक द्रोण
इनकी छोटी इकाईयां भी दी गई हैं।

अतः स्पष्ट है कि यदि #पूर्णपात्र को
या हार्डडिस्क को बनना/भरना है तो इसी अनुपात में बनाना होगा।और कोई चारा नहीं है आधुनिक साइंस के पास।
तभी तो कहते हैं कि संस्कृत कम्प्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है।
     डा० कृष्ण चंद्र शास्त्री
दिल्ली १०.७.१९

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