Wednesday, 5 June 2019

भारत में ही देवों का अवतरण क्यों हुआ

आक्षेप – सभी देवी देवताओ ने भारत मे हि जन्म क्यो लिया?
क्यो किसी भी देवी -देवता को भारत के बाहर कोइ नही जानता ?

धज्जियां – वर्तमान् लोक में ही देखा जाता है , यदि को सरकारी उच्चाधिकारी (मन्त्री आदि ) किसी नगर में पर्यवीक्षण आदि के लिए आता है तो वहां स्थित अथवा उसके समीपस्थ निर्मित सीधे प्रामाणिक सरकारी आवास पर ठहरता है , वहां से श्रेष्ठ वाहन में बैठकर तब दौरा या अन्य कार्य करता । होता तो पूरे राष्ट्र का मन्त्री है फिर भी पूर्वनियत व्यवस्था का ही अनुपालन करता है । राजा पूरे राज्य का राजा होता है पर मिलने के लिये कोई कामना करे तो , उसे मिलता राजधानी में ही है । इसी प्रकार ईश्वरीय अथवा दैवीय शक्तियां हैं , वे जब इस वैश्विक धरातल पर अवतरित होती हैं तो , इस सीधे इस विश्व पटल की प्रामाणिक आध्यात्मिक पृष्ठभूमि (भारत ) में आविर्भूत होती हैं तथा यहाँ पदार्पण करने के उपरान्त अपने आध्यात्मिक वर्चस्व से समस्त विश्व को प्रभावित करती हैं | समस्त विश्व में भारत अध्यात्म का सबसे आदर्श धरा भाग है | अफसरीपना पाकर बड़े – बड़े अफसरी भवनों में कौन नहीं आयेगा ? सांसद बनकर भी संसद में कौन नहीं बैठना चाहेगा ? और नहीं बैठेगा संसद में तो फिर कैसा सांसद ? अध्यापक होकर अपनी कक्षा में उपस्थिति न करे तो कैसा अध्यापक ? नरेन्द्र मोदी जब संसद में अपना पहला कदम रखते हैं तो इसकी धूल अपने माथे से लगाकर इसे चूमते हैं , क्योंकि उनको ज्ञात है उसका क्या महत्त्व है ; ऐसे ही भारत भूमि है, ये समस्त विश्व की धर्मसंसद है , देवता इसका महत्त्व जानते हैं , इसके प्रति तो प्रत्येक देवता यही गीत गाता है –

हम देवताओं में भी वे लोग धन्य हैं जो स्वर्ग और मोक्ष के लिए साधनभूत भारतभूमि में उत्पन्न हुए हैं-

‘#गायन्तिदेवाःकिलगीतकानिधन्यास्तुयेभारतभूमिभागे | #स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूतेभवन्तिभूयःपुरुषाःसुरत्वात् ||

देव होकर ही देवताओं की संगति की जाती है #देवोभूत्वायजेत्_देवान् , (यज् देवपूजा-दान-संगतिकरणे ) भारत से बाहर कितने देवत्व धारण करने वाले मनुष्य हैं , ये सुस्पष्ट ही है | संगति का लाभ देवत्व से प्राप्त होता है , जब संगति का ही सम्यक् लाभ नहीं मिला तो उनका विवेक कहाँ से मिलेगा ? ये सब बिना परमात्मा की कृपा कर भला कहाँ सुलभ हो पाता है –

#बिनुसतसंगबिबेकनहोई | #रामकृपाबिनुसुलभनसोई

।। जय श्री राम ।।

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