आस्तिक धर्मजिज्ञासु ध्यान दीजिये -----
जैसे मानव जीवन आकाशीय ग्रह- पिण्डों से प्रभावित होता है वैसे ही भूमि का प्रभाव भी उसके जीवन में आये बिना नहीं रहता है ।
कुलीन हिन्दू कहॉ जायें कहॉ नहीं -
कांची , कठियावाड़, दक्षिण भारत, कलिंग, सिन्धु, सौवीर, अवन्ति , बंगाल , मगध , आन्ध्र प्रदेश , देवराष्ट्र , धौलपुर का पश्चिमी क्षेत्र , कावेरी , कोंकण और हूण प्रदेश
शुद्ध , कुलीन, सनातनी संस्कारी हिन्दू, इन स्थलों पर स्वेच्छा से जाने से बचें ।
अंगदेश, बंगदेश , कलिंगदेश, सौराष्ट्र और मगध में कदाचित् तीर्थयात्रा के कारण जाना पड़े तब जा सकते हैं , अन्यथा कभी मत जाना ।
पंजाब तो कभी भूलकर भी न जायें ।
हमने अपनी ऑखों से देखा है, कि हमारे एक परिचित कुलीन ब्राह्मण पंजाब की धरती में गये थे ,
आज उनके जीवन में शास्त्रीय विधि - निषेधों के प्रति एकदम उदासीनता है । यद्यपि इस कलियुगी समाज में उनका ब्राह्मण देवता के रूप में मानसम्मान बना है पर निजी जीवन में शास्त्रों से उनकी एकनिष्ठता समाप्तप्राय हो चुकी है और शूद्रवत् जीवन जी रहे हैं ।
पंजाब में भी युगन्धर नामक पर्वत एवं अच्युतस्थल नामक स्थान इतना घोर अपवित्र है कि यदि कोई भूल से वहॉ का पानी पी ले और निवास कर ले तो सीधे घनघोर नरक गिरे बिना नहीं रहता ।
हमारे आर्यावर्त निवासी कुलीन सनातनी हिन्दू सिन्धु, कर्मनाशा और करतोया नदियों को भी बिना तीर्थयात्रा के उद्देश्य के कभी पार न करें ।
जो कुलीन सनातनी हिन्दू लोग हमारे गिनाये उक्त प्रदेशों में पैदा हुए हैं , उनको इन प्रदेशों का दोष वैसे ही नहीं लगता , जैसे विष के कीट को विष नहीं लगता । अतः उक्त प्रदेशवासी आस्तिक सनातनी कुलीन हिन्दू चिन्तित न हों , वरन् स्वधर्मपरिपालन में दत्तचित्त रहें।
।। श्री राम जय राम जय जय राम ।।
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