Friday, 21 June 2019

गो महिमा

ये कौन हैं जानते हो ?

ये वो  जगज्जननी भगवतियॉ  हैं , जिनके पीछे -पीछे  स्वयं पराम्बा भगवती  लक्ष्मी अपने आठ प्रकार के ऐश्वर्यों को  लिये  सेवा की कामना  से  जाती हैं  ! 

जिनके पीछे स्वयं    परात्पर  परब्रह्म  भी नन्हा सा  बालक बनकर चलता है कि मॉ की कुछ दया  मुझ पर भी हो जाये  !

जिनकी पदचाप से उड़ने वाली धूल के हर कण-कण में करोड़ों करोड़ो देवता अपने  बसने का  ठिकाना खोजते हैं !

ये वो  शक्तियॉ हैं जो अपनी हरेक  पदचाप में धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष  की छाप छोड़ती जाती हैं !

ये वो राजरानियॉ हैं , जो  हरेक सन्त के,  हरेक महात्मा के,  हरेक पंडित के , हरेक विद्वान् के,  हरेक बुद्धिजीवी के,  हरेक योगी के , हरेक भक्त के  हृदय रनिवास पर  राज करती हैं !

............हॉ , ये  माऐं  है ,  ये गायें हैं  ! ✒️

गायें क्यों कहते हैं इन्हें  ,

........क्योंकि  स्वयं वेदों ने इन्हें ही गाया  है ,   स्वयं परमात्मा ने इन्हें ही गाया है , समस्त  ऋषियों ने इन्हें  ही गाया है ।   जो  हरेक  धर्मज्ञ, हरेक मनीषि  द्वारा गायी  जाये , वही ये  गायें हैं ।  ✒️

गाय तो गायन है , गोपाल, गोविन्द स्वरूप भगवान् मुरली मनोहर श्याम सुन्दर श्री कृष्ण  की  बंसी की हरेक स्वर- सरस्वती जगज्जननी भगवती स्वरूपा गायों  की महिमा ही गाती  हैं ।

गच्छतीति गौ - जो चलती जाती हैं , सदैव अनवरत । वर्तमान के समीपस्थ भूत और भविष्यत् की भी वर्तमान  संज्ञा होती है । गौ माता प्रवाहमाना हैं ,  जो अनवरत गतिमान हैं , वे गौं हैं अर्थात्  चेतना और यथार्थता की संगम यही हैं ।

 
इस संसार में जिसके पास भी आज सुख है  , शान्ति है,   धन सम्पदा , वैभव  और ऐश्वर्य है ,  ज्ञान है , गुण है , वे सब  का सब किसी न किसी जन्म की   किसी न किसी प्रकार की गो-सेवा का ही फल है ।

जो समस्त प्राणियों की माता हैं , जो समस्त सुखों को देने वाली हैं , वे यही गायें हैं ।

#मातरस्सर्वभूतानां_गावः_सर्वसुखप्रदाः।।

मॉ ! तेरे चरणों की  कुछ  धूल भी मिल जाये  !
हो जाऊं मैं धन्य तभी  जीवन ये संवर जाये  ।।

।। जय श्री  राम ।।

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