ये कौन हैं जानते हो ?
ये वो जगज्जननी भगवतियॉ हैं , जिनके पीछे -पीछे स्वयं पराम्बा भगवती लक्ष्मी अपने आठ प्रकार के ऐश्वर्यों को लिये सेवा की कामना से जाती हैं !
जिनके पीछे स्वयं परात्पर परब्रह्म भी नन्हा सा बालक बनकर चलता है कि मॉ की कुछ दया मुझ पर भी हो जाये !
जिनकी पदचाप से उड़ने वाली धूल के हर कण-कण में करोड़ों करोड़ो देवता अपने बसने का ठिकाना खोजते हैं !
ये वो शक्तियॉ हैं जो अपनी हरेक पदचाप में धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष की छाप छोड़ती जाती हैं !
ये वो राजरानियॉ हैं , जो हरेक सन्त के, हरेक महात्मा के, हरेक पंडित के , हरेक विद्वान् के, हरेक बुद्धिजीवी के, हरेक योगी के , हरेक भक्त के हृदय रनिवास पर राज करती हैं !
............हॉ , ये माऐं है , ये गायें हैं ! ✒️
गायें क्यों कहते हैं इन्हें ,
........क्योंकि स्वयं वेदों ने इन्हें ही गाया है , स्वयं परमात्मा ने इन्हें ही गाया है , समस्त ऋषियों ने इन्हें ही गाया है । जो हरेक धर्मज्ञ, हरेक मनीषि द्वारा गायी जाये , वही ये गायें हैं । ✒️
गाय तो गायन है , गोपाल, गोविन्द स्वरूप भगवान् मुरली मनोहर श्याम सुन्दर श्री कृष्ण की बंसी की हरेक स्वर- सरस्वती जगज्जननी भगवती स्वरूपा गायों की महिमा ही गाती हैं ।
गच्छतीति गौ - जो चलती जाती हैं , सदैव अनवरत । वर्तमान के समीपस्थ भूत और भविष्यत् की भी वर्तमान संज्ञा होती है । गौ माता प्रवाहमाना हैं , जो अनवरत गतिमान हैं , वे गौं हैं अर्थात् चेतना और यथार्थता की संगम यही हैं ।
इस संसार में जिसके पास भी आज सुख है , शान्ति है, धन सम्पदा , वैभव और ऐश्वर्य है , ज्ञान है , गुण है , वे सब का सब किसी न किसी जन्म की किसी न किसी प्रकार की गो-सेवा का ही फल है ।
जो समस्त प्राणियों की माता हैं , जो समस्त सुखों को देने वाली हैं , वे यही गायें हैं ।
#मातरस्सर्वभूतानां_गावः_सर्वसुखप्रदाः।।
मॉ ! तेरे चरणों की कुछ धूल भी मिल जाये !
हो जाऊं मैं धन्य तभी जीवन ये संवर जाये ।।
।। जय श्री राम ।।
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