Wednesday, 19 June 2019

सचल शव और सचल शिव

सचल शव और सचल शिव ----

जिन धन्यात्माओं को महान् देवताओं के दर्शन /अनुभव  हैं, उन्हीं को देवताओं की चिन्ता और भय  भी होता है कि  मेरी परम्परा क्या है , मेरा  कुल गोत्र. मर्यादा क्या है,  मैं अमुक कर्म्म करूंगा तो अमुक अमुक देवता रुष्ट  होंगे या प्रसन्न होंगे । 

वही लोग ये चिन्ता करते हैं कि अमुक शास्त्रविधि का मुझे पालन करना है या अमुक निषेध से बचना है ।

वही लोग  ये प्रार्थना करते हैं कि अमुक अमुक  देवता मुझसे प्रसन्न हों ।  

ऐसे जो लोग शास्त्रीय विधि निषेधों की चिन्ता करते हैं ,  उनके अधीन स्वयं को  करने में धन्य अनुभव करते हैं, परम्परागत    मर्यादाओं  से आकर्षित होते हैं,  वे सचल शिव हैं ।

सोया हुआ , अचेत पड़ा हुआ प्राणी जाग्रत प्राणियों और उनके संसार  से भयभीत नहीं होता ।  उसे भय , चिन्ता होती भी है तो मात्र अपने ही स्वप्न जगत् से ।।

जागे हुए में ही  जाग्रत प्राणियों और  उनके जगत् से भय चिन्ता देखी जाती है ।

आजकल लोग शास्त्रों का तिरस्कार करते हैं तो  उसके पीछे प्रधान कारण ये है कि    वे अचेत  हैं । हम तो  ऐसे प्राणियों को   सचल शव  कहते हैं  ।

आजकल चारों ओर सचल शव बहुत  ही अधिक हैं, और  सचल शिव बहुत ही कम हैं ।

।। श्री राम जय राम जय जय राम ।।

1 comment:

  1. सत्मान्य बात लिखी आपको बहुत बहुत भगवान शिव की ओर से दया मिले।।

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