Saturday, 1 June 2019

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम का खण्डन

हिन्दुओं के  राम के नाम में अल्लाह की  मिलावट करने वालों की सच्चाई  ------
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तथाकथित  गंगा-जमुनी तहजीब वालों को एक  गीत गाते हुए प्रायः सुना होगा आपने -

रघुपति राघव राजा राम पतितपावन सीताराम ।
ईश्वर अल्लाह तेरो  नाम सबको सन्मति दे भगवान् ।।

पहली पंक्ति में सीताराम को पतितपावन कहा गया , पर दूसरी पंक्ति में   उनके  दो नाम  फैलाये गये  -

१-ईश्वर  ।

२- अल्लाह  ।

//ईश्वर अल्लाह तेरो नाम //

राम भगवान् विष्णु के अवतार थे,  भगवान् विष्णु के  हजार नामों  में   ईश्वर नाम तो  है ,  पर  अल्लाह नाम कहीं भी नहीं कहा गया ,    यथा  - ईश्वरो विक्रमी धन्वी मेधावी विक्रमः क्रमः। (श्रीविष्णुसहस्रनाम श्लोक सं०२२)

हॉ  किन्तु  भविष्यपुराण में    इस्लाम को  पैशाच धर्म अवश्य कहा गया है ।

राम के  नामों में  अल्लाह नाम की खोज करते हुए हमने  भगवान् श्री  राम के १०८ नाम और उनका अर्थ संगृहीत किया है  , जरा  कोई  हमें इसमें  #अल्लाह नाम खोजकर दिखाये   - 

१. ॐ श्रीराम:–जिनमें योगीजन रमण करते हैं, ऐसे सच्चिदानन्दघन श्रीराम और सीता-सहित राम।
२. रामचन्द्र:–चन्द्रमा के समान मनोहर राम।
३. रामभद्र:–कल्याणमय राम।
४. शाश्वत:–सनातन भगवान।
५. राजीवलोचन:–कमल के समान नेत्रों वाले।
६. श्रीमान् राजेन्द्र:–श्रीसम्पन्न और राजाओं के भी राजा।
७. रघुपुंगव:–रघुकुल में सर्वश्रेष्ठ।
८. जानकीवल्लभ:–जनककिशोरी सीता के प्रियतम।
९. जैत्र:–विजयशील।
१०. जितामित्र:–शत्रुओं को जीतने वाले।
११. जनार्दन:–सभी मनुष्यों द्वारा याचना करने योग्य।
१२. विश्वामित्रप्रिय:–विश्वामित्रजी के प्रिय।
१३. दान्त:–जितेन्द्रिय।
१४. शरण्यत्राणतत्पर:–शरणागतों की रक्षा में संलग्न।
१५. वालिप्रमथन:–वानर बालि को मारने वाले।
१६. वाग्मी–अच्छे वक्ता।
१७. सत्यवाक्–सत्यवादी।
१८. सत्यविक्रम:–सत्य पराक्रमी।
१९. सत्यव्रत:–सत्य का दृढ़तापूर्वक पालन करने वाले।
२०. व्रतफल:–सम्पूर्ण व्रतों के प्राप्त होने वाले फलस्वरूप।
२१. सदा हनुमदाश्रय:–हनुमानजी के हृदयकमल में सदा निवास करने वाले।
२२. कौसल्येय:–कौसल्याजी के पुत्र।
२३. खरध्वंसी–खर राक्षस का नाश करने वाले।
२४. विराधवधपण्डित:–विराध दैत्य का वध करने में कुशल।
२५. विभीषणपरित्राता–विभीषण के रक्षक।
२६. दशग्रीवशिरोहर:–दस सिर वाले रावण के मस्तक को काटने वाले।
२७. सप्ततालप्रभेत्ता–सात तालवृक्षों को एक ही बाण से बींध डालने वाले।
२८. हरकोदण्डखण्डन:–जनकपुर में शिवजी के धनुष को तोड़ने वाले।
२९. जामदग्न्यमहादर्पदलन:–परशुरामजी के महान् अभिमान को चूर्ण करने वाले।
३०. ताटकान्तकृत्–ताड़का नाम की राक्षसी का वध करने वाले।
३१. वेदान्तपार:–वेदान्त से भी अतीत, वेद भी जिसका पार नही पा सकता।
३२. वेदात्मा–वेदस्वरूप।
३३. भवबन्धैकभेषज:–संसार-बंधन से मुक्ति की एकमात्र औषधि।
३४. दूषणत्रिशिरोऽरि:— दूषण और त्रिशिरा नामक राक्षसों के शत्रु।
३५. त्रिमूर्ति:–ब्रह्मा, विष्णु और शिव–तीन रूप धारण करने वाले।
३६. त्रिगुण:–तीनों गुणों के आश्रय।
३७. त्रयी–तीन वेदस्वरूप।
३८. त्रिविक्रम:–वामन अवतार में तीन पगों से त्रिलोकी को नाप लेने वाले।
३९. त्रिलोकात्मा–तीनों लोकों के आत्मा।
४०. पुण्यचारित्रकीर्तन:–जिनकी लीलाओं का कीर्तन परम पवित्र है।
४१. त्रिलोकरक्षक:–तीनों लोकों की रक्षा करने वाले।
४२. धन्वी–धनुष धारण करने वाले।
४३. दण्डकारण्यवासकृत्–दण्डकारण्य में निवास करने वाले।
४४. अहल्यापावन:--अहल्या को पवित्र करने वाले।
४५. पितृभक्त:–पिता के भक्त।
४६. वरप्रद:–वर देने वाले।
४७. जितेन्द्रिय:–इन्द्रियों को वश में रखने वाले।
४८. जितक्रोध:–क्रोध को जीतने वाले।
४९. जितलोभ:–लोभ को परास्त करने वाले।
५०. जगद्गुरु:–अपने चरित्र से संसार को शिक्षा देने के कारण सबके गुरु।
५१. ऋक्षवानरसंघाती–वानर और भालुओं की सेना का संगठन करने वाले।
५२. चित्रकूटसमाश्रय:–वनवास के समय चित्रकूट पर्वत पर निवास करने वाले।
५३. जयन्तत्राणवरद:–जयन्त की रक्षा करके वर देने वाले।
५४. सुमित्रापुत्रसेवित:–सुमित्रानन्दन लक्ष्मण द्वारा सेवित।
५५. सर्वदेवाधिदेव:–सम्पूर्ण देवताओं के भी देवता।
५६. मृतवानरजीवन:–मरे हुए वानरों को जीवित करने वाले।
५७. मायामारीचहन्ता–मायावी मृग बनकर आए मारीच राक्षस का वध करने वाले।
५८. महाभाग:–महान सौभाग्यशाली।
५९. महाभुज:–बड़ी-बड़ी बांहों वाले।
६०. सर्वदेवस्तुत:–सम्पूर्ण देवता जिनकी स्तुति करते हैं।
६१. सौम्य:–शान्त स्वभाव वाले।
६२. ब्रह्मण्य:–ब्राह्मणों के हितैषी।
६३. मुनिसत्तम:–मुनियों में श्रेष्ठ।
६४. महायोगी–महायोगी।
६५. महोदार:–परम उदार।
६६. सुग्रीवस्थिरराज्यद:–सुग्रीव को स्थिर राज्य प्रदान करने वाले।
६७. सर्वपुण्याधिकफल:–समस्त पुण्यों के उत्कृष्ट फलरूप।
६८. स्मृतसर्वाघनाशन:–स्मरण करने मात्र से ही सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाले।
६९. आदिपुरुष:–ब्रह्माजी को भी उत्पन्न करने वाले सबके आदिभूत परमात्मा।
७०. महापुरुष:–समस्त पुरुषों में महान्।
७१. परम: पुरुष:–सर्वोत्कृष्ट पुरुष।
७२. पुण्योदय:–पुण्य को प्रकट करने वाले।
७३. महासार:–सर्वश्रेष्ठ सारभूत परमात्मा।
७४. पुराणपुरुषोत्तम:–पुराणप्रसिद्ध क्षर-अक्षर पुरुषों से श्रेष्ठ लीलापुरुषोत्तम।
७५. स्मितवक्त्र:–जिनके मुख पर सदा मुसकान छाई रहती है।
७६. मितभाषी–कम बोलने वाले।
७७. पूर्वभाषी–पूर्ववक्ता।
७८. राघव:–रघुकुल में अवतीर्ण।
७९. अनन्तगुणगम्भीर:–अनन्त गुणों से युक्त एवं गम्भीर।
८०. धीरोदात्तगुणोत्तर:–धीर और उदात्त नायक के लोकोत्तर गुणों से युक्त।
८१. मायामानुषचारित्र:–अपनी माया का आश्रय लेकर मनुष्यों की-सी लीलाएं करने वाले।
८२. महादेवाभिपूजित:–भगवान शंकर द्वारा निरन्तर पूजित।
८३. सेतुकृत्–समुद्र पर पुल बांधने वाले।
८४. जितवारीश:–समुद्र को जीतने वाले।
८५. सर्वतीर्थमय:–सर्वतीर्थस्वरूप।
८६. हरि:–पाप-ताप को हरने वाले।
८७. श्यामांग:–श्याम विग्रह वाले।
८८. सुन्दर:–परम मनोहर।
८९. शूर:–अनुपम शौर्य से सम्पन्न वीर।
९०. पीतवासा:–पीताम्बरधारी।
९१. धनुर्धर:–धनुष धारण करने वाले।
९२. सर्वयज्ञाधिप:–सम्पूर्ण यज्ञों के स्वामी।
९३. यज्ञ:–यज्ञस्वरूप।
९४. जरामरणवर्जित:–बुढ़ापा और मृत्यु से रहित।
९५. शिवलिंगप्रतिष्ठाता–रामेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग की स्थापना करने वाले।
९६. सर्वाघगणवर्जित:–समस्त पाप-राशि से रहित।
९७. परमात्मा–परम श्रेष्ठ, नित्य-शुद्ध-बुद्ध-मुक्त स्वभाव।
९८. परं ब्रह्म–सर्वोत्कृष्ट, सर्वव्यापी परेश्वर।
९९. सच्चिदानन्दविग्रह:–सत्, चित् और आनन्दमय दिव्यविग्रह वाले।
१००. परं ज्योति:–परम प्रकाशमय, परम ज्ञानमय।
१०१. परं धाम–साकेत धामस्वरूप।
१०२. पराकाश:–महाकाशस्वरूप ब्रह्म।
१०३. परात्पर:–मन, बुद्धि आदि से परे परमात्मा।
१०४. परेश:–सर्वोत्कृष्ट शासक।
१०५. पारग:–सबको पार लगाने वाले।
१०६. पार:–भवसागर से पार जाने की इच्छा रखने वाले प्राणियों के प्रातव्य परमात्मा।
१०७. सर्वभूतात्मक:–सर्वभूतस्वरूप।
१०८. शिव:–परम कल्याणमय ।

।। जय श्री राम ।।

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