जो कहते हैं मनुवाद देश को तोड़ता है , वे आजकल की जड़ भाषा में समझो मनुवाद क्या कहता है -
मनुवाद कहता है कि देश के सारे इंजिनियर्स के पद , आई टी सेक्टर , कॉटेज इंडस्ट्रीज आदि केवल शूद्रों के लिए आरक्षित हो जाएँ , साथ ही यूनिवर्सिटीज , एडमिनिस्ट्रेशन और एग्रीकल्चरल , बिजनेस रिलेटेड फील्ड्स में भी शूद्रों को देश की सेवा करने का आमन्त्रण दिया जाए । मनुवाद कहता है कि शूद्र ही देश के बड़े बड़े बिल्डर बनें । ब्राह्मणों को केवल एजुकेशन ही का फील्ड थमाया जाये , उसे गुजारा ना हो रहा हो, तो विशेष आपत्ति होने पर एडमिनिस्ट्रेशन या एग्रीकल्चर के फील्ड में ट्राय कर सकते हैं, लेकिन शूद्रों के लिये जो प्रोफेशनल फील्ड रिजर्व हैं , उनमें इंटर नहीं कर सकते ।
मनुवाद कहता है कि ब्राह्मणों और क्षत्रियों को बिलकुल भी उन सेवाओं में घुसने ना दिया जाए , जो शूद्रों के लिए आरक्षित हैं ! इतना ही नही, ब्राह्मण जो भी कमाते हैं , उस कमाई पर भी मनुवाद अंकुश लगाता है , उनके पास इतनी ही प्रौपर्टी और बैंक बैलेंस रहे , जितने से केवल वन इयर का गुजारा हो ! और जॉब भी केवल पच्चीस वर्ष तक ही कर सकता है , उसके बाद उसे रिटायर होना पडेगा ! और ये रिटायरमेंट ऐसा होगा कि ना किसी सोसाइटी में रहो , ना सिटी में, बल्कि जाके फॉरेस्ट में रहो और वहीं अपने शोल को गेन करने के लिये योगा करो ।
मनुवाद केवल हिन्दुओं को ही देश में रहने की बात करता है , बांकी लोग या तो मनुवाद को मानें वरना गेट आउट ।
मनुवाद से उनको समस्या है , जो हिन्दू नहीं हैं, और मनुवाद के विरोध का सीधा सीधा मतलब है, शूद्रों के अधिकारों का हनन , क्योंकि इसमें सबसे ज्यादा सुख उन्हीं को है ।
वे भारत से बाहर व भारत में रहने वाले विदेशी लोग इसीलिये षड्यन्त्र करके मनुवाद का विरोध करवाते हैं , ताकि वे शूद्रों के रिजर्व सुख छीन सकें और अपने आप को भी देश में प्रविष्ट (इंटर) कर सकें ।
।। जय श्री राम ।।
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