Sunday, 7 April 2019

मनुवाद शूद्रों के पक्ष में ही है

जो  कहते  हैं  मनुवाद  देश को  तोड़ता  है ,  वे  आजकल  की   जड़  भाषा   में समझो   मनुवाद  क्या  कहता है  -

मनुवाद  कहता  है  कि    देश के  सारे  इंजिनियर्स के पद  , आई टी सेक्टर  , कॉटेज  इंडस्ट्रीज  आदि  केवल   शूद्रों  के  लिए  आरक्षित  हो  जाएँ  , साथ ही   यूनिवर्सिटीज , एडमिनिस्ट्रेशन  और  एग्रीकल्चरल , बिजनेस  रिलेटेड  फील्ड्स  में  भी  शूद्रों   को  देश  की    सेवा  करने  का  आमन्त्रण दिया जाए  ।   मनुवाद कहता है कि शूद्र  ही देश के बड़े बड़े  बिल्डर  बनें ।    ब्राह्मणों को  केवल एजुकेशन ही का फील्ड थमाया जाये ,  उसे गुजारा ना हो रहा हो, तो  विशेष आपत्ति होने पर  एडमिनिस्ट्रेशन या  एग्रीकल्चर के फील्ड में ट्राय कर सकते हैं,  लेकिन  शूद्रों के लिये जो  प्रोफेशनल  फील्ड रिजर्व हैं , उनमें इंटर नहीं कर सकते ।

मनुवाद  कहता  है  कि   ब्राह्मणों और  क्षत्रियों   को  बिलकुल  भी   उन  सेवाओं  में   घुसने  ना  दिया  जाए  , जो  शूद्रों  के  लिए  आरक्षित  हैं  ! इतना ही  नही,    ब्राह्मण  जो  भी  कमाते  हैं  ,  उस कमाई  पर  भी  मनुवाद  अंकुश  लगाता  है  , उनके  पास   इतनी ही  प्रौपर्टी और  बैंक  बैलेंस  रहे  ,  जितने  से  केवल   वन  इयर   का गुजारा  हो  !   और   जॉब  भी  केवल   पच्चीस  वर्ष  तक  ही   कर  सकता  है  , उसके  बाद  उसे  रिटायर  होना  पडेगा !  और ये रिटायरमेंट ऐसा होगा कि  ना किसी सोसाइटी में रहो , ना सिटी में,  बल्कि  जाके  फॉरेस्ट में रहो और वहीं   अपने शोल को गेन  करने  के लिये  योगा करो ।  

मनुवाद  केवल  हिन्दुओं  को   ही  देश  में  रहने  की  बात  करता है , बांकी  लोग   या तो  मनुवाद  को मानें   वरना   गेट  आउट  ।

मनुवाद से  उनको  समस्या  है , जो हिन्दू नहीं हैं,  और मनुवाद के विरोध का सीधा सीधा मतलब है,   शूद्रों के अधिकारों का हनन , क्योंकि इसमें  सबसे ज्यादा सुख उन्हीं को है ।

वे भारत से बाहर व भारत में रहने वाले   विदेशी लोग इसीलिये  षड्यन्त्र करके मनुवाद का विरोध करवाते हैं , ताकि  वे शूद्रों  के रिजर्व   सुख छीन सकें और   अपने आप को भी देश में   प्रविष्ट (इंटर)  कर सकें ।

।। जय श्री राम ।।

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