Saturday, 19 January 2019

विदेशगमन निषेध

//#वसुधैव_कुटुम्बकम् -सारी  धरती अपना घर है,  कहीं भी घूमो //

#उत्तर - पहली बात तो  कुटुम्ब शब्द का अर्थ घर नहीं है , दूसरी बात ये कि  ये जो आपने कहा //कहीं भी घूमो // ये आपने अपनी जेब से जोड़ा है, मूल  श्रुति  में ऐसा कहीं भी नहीं कहा गया  है ।  वहॉ पर तो मात्र इतना ही कहा गया है कि वसुधैव कुटुम्बकम्  । (  अयं बन्धुरयं नेति .....कुटुम्बकम् )

जिस स्थल का यह वचन है, वहॉ प्रकरण  पता करो आप पहले , एक अद्वैतात्मनिष्ठ संन्यासी ब्राह्मण  की  उदार दृष्टि का यह प्रकरण है , उदार दृष्टि का अभिप्राय यहॉ आत्मदृष्टि से  है ।

जिस स्थल  का यह वचन है ,  स्पष्ट कहा है श्रुति ने  वहीं आगे - #उदारः_पेशलाचारः_सर्वाचारानुवृत्तिमान्   ।  अतः  तुम  कलिसन्तानों   के   विदेशों में मौज लूटने  का बीजा नहीं है ये !  

श्रुति ने तो स्पष्ट कहा है - #न_जनमियात्_नान्तमियात्  अर्थात् समुद्रोल्लंघन करके  भारत से बाहर विदेश न जाये ।

ऐसे में तुम महाधूर्त्त केवल धर्म के नाम पर  पाखण्ड करना चाहते हो - ये स्पष्ट है ।

।। जय श्री राम ।।

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