Saturday, 19 January 2019

शंकराचार्य का महत्व

देवता हों या  असुर   :  सभी भक्तों  के आराध्य हैं शंकराचार्य  -
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#शंकराचार्य  सनातन वैदिक हिन्दू धर्म के  परमाचार्य होते हैं । शासकों पर शासन करने वाला पद है : शंकराचार्य पद ।।

शंकराचार्य  का अभिप्राय  होता  है   : स्वयं देवाधिदेव महादेव    भगवान् शिव के ज्ञानावतार ।।

देवाधिदेव  महादेव भगवान् शंकर किसके वन्दनीय नहीं हैं ? अर्थात् वे सबके लिये पूज्य  हैं । ऋषि, मुनि, नर, नाग, यक्ष, सुर, गन्धर्व, असुर, राक्षस  आदि समस्त प्राणियों के लिये भगवान् शंकर सदैव वन्दनीय हैं ।

जगद्गुरु शंकराचार्य की चरण रज प्राप्त करना  कौन नहीं चाहता ।  देवता हों या असुर  - सबका  कल्याण  करने वाले होने से ही तो वे शंकर हैं ।

जिनके चरणों की धूल सिर पर धारण करने से वैष्णव अपनी  वैष्णवता  को  सार्थक   करते   हैं , उन  सर्ववैष्णवाधिराज (वैष्णवानां यथा शम्भुः)  भगवान् शंकर की हम सभी सनातन हिन्दू धर्मावलम्बी  वन्दना करते हैं  ।    

समस्त विश्व को केवल  चार दिशाओं के चार  शंकराचार्य  मात्र    नियोजित कर सकने  में पूर्णतः  समर्थ हैं ,

इसी रहस्य को जानने वाले   परब्रह्मस्वरूप भगवान् शंकर ने आज से  लगभग  ढाई हजार वर्ष पूर्व  चार पीठों की समुद्भावना की ।

एक तरह से ये भगवान् शंकर ही चार रूपों में उस समय प्रकट हो गये थे ।

अतः समस्त सनातन हिन्दू धर्मावलम्बियों को  उन चार शंकराचार्यों  की  शरण  में  रहना   चाहिये । इसी में उनका कल्याण है ।

।। जय श्री राम ।।

।। जय श्री राम ।।

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