मलूकदास , रहीम दास आदि की समीक्षा -
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यदि क्षत्रिय की पूजा करना ब्राह्मण के लिये शास्त्र विरुद्ध है , तो आप राम, कृष्णादि के मन्दिर बनाकर उनकी उपासना क्यों करते हो ?
#उत्तर - सुनिये ! हम उस राम की बिल्कुल भी पूजा नहीं करते , जो दशरथ नन्दन है, ऐतिहासिक अयोध्या का राजा है, रघुकूलभूषण है, और हम उस कृष्ण की भी पूजा नहीं करते , जो वसुदेवपुत्र है, द्वारिका का राजा है, वरन्=======>
हम उस राम और कृष्ण की पूजा करते हैं, जो विष्णु के अवतार हैं , जो पुराणपुरुष भगवान् हैं , जो सनातन जगदीश्वर हैं । वेदवेद्य परमपुरुष भगवान् राम, वेदवेद्य परमपुरुष भगवान् कृष्ण हमारे पूजनीय ईश्वर हैं । हम ब्राह्मण जब मूर्ति में वेदमन्त्रों से प्राण प्रतिष्ठा करते हैं , तभी मूर्ति की उपासना करते हैं ।
ऐतिहासिक राम हमारे लिये केवल सम्माननीय और प्रेरणादायक चरित्र मात्र हैं । पूजा तो हम परब्रह्म राम व कृष्ण की ही करते हैं ।
#प्रश्न - दशरथ नन्दन राम और भगवान् राम में अन्तर तो है नहीं , दोनों एक ही हैं, फिर भेद किस बात का है ?
#उत्तर - एक होकर भी आचार का भेद है । धर्म की उत्पत्ति आचार से ही हुई है । अतः आचार ही सनातन वैदिक धर्म है ।
हमारा यह वक्तव्य हो सकता है बहुत कम लोग समझ पायेंगे, और हो सकता है कुछ घटाटोप मूर्ख विधवाविलाप भी करेंगे , पर कोई कुछ भी कहता रहे, सत्य यही है ।
।। जय श्री राम ।।
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