Saturday, 19 January 2019

मलूकदास , रहीम दास आदि की समीक्षा

मलूकदास , रहीम दास आदि की समीक्षा -
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यदि क्षत्रिय की पूजा करना ब्राह्मण के लिये शास्त्र विरुद्ध है , तो आप राम, कृष्णादि के मन्दिर बनाकर उनकी उपासना क्यों करते हो ?

#उत्तर - सुनिये !  हम उस राम की बिल्कुल भी पूजा नहीं करते , जो दशरथ नन्दन है,  ऐतिहासिक अयोध्या का राजा है, रघुकूलभूषण है,  और हम उस कृष्ण की भी पूजा  नहीं करते , जो वसुदेवपुत्र है, द्वारिका का राजा है, वरन्=======>

हम उस राम  और कृष्ण  की पूजा करते हैं, जो विष्णु के अवतार हैं , जो पुराणपुरुष भगवान् हैं ,   जो  सनातन  जगदीश्वर हैं ।   वेदवेद्य परमपुरुष भगवान् राम, वेदवेद्य परमपुरुष भगवान्  कृष्ण हमारे  पूजनीय ईश्वर हैं ।  हम ब्राह्मण जब  मूर्ति में वेदमन्त्रों से प्राण प्रतिष्ठा करते हैं ,  तभी मूर्ति की उपासना करते हैं ।

ऐतिहासिक राम हमारे लिये केवल सम्माननीय और प्रेरणादायक  चरित्र मात्र हैं ।   पूजा तो हम परब्रह्म राम व कृष्ण की ही करते हैं ।

#प्रश्न - दशरथ नन्दन राम और भगवान् राम में अन्तर तो है नहीं , दोनों एक ही हैं, फिर भेद किस बात का है  ?

#उत्तर -   एक होकर भी आचार का भेद है । धर्म की उत्पत्ति आचार से  ही  हुई है ।      अतः आचार ही  सनातन वैदिक धर्म है ।

हमारा यह वक्तव्य हो सकता है बहुत कम लोग समझ पायेंगे, और हो सकता है कुछ  घटाटोप मूर्ख  विधवाविलाप भी करेंगे , पर  कोई कुछ भी कहता रहे, सत्य यही है ।

।। जय श्री राम ।।

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