Wednesday, 12 December 2018

त्रिदेव रहस्य

त्रिदेव रहस्य।।

पुराणादि शास्त्रों में अधिकांश लोगों को यह सुनने में आता है त्रिदेवों की कथाएँ और त्रिदेवों से भी अन्य कोई है।

यह सदैव एक रहस्य लोगो के मन मे आता है कि त्रिदेवों से अन्य या अतिरिक्त कौन क्योंकि सभी पुराणों में विभिन्न त्रिदेव और उनके उतपत्ति कारण बतलायें जाते हैं।

किन्तु क्या आपने सोचा है यदि त्रिदेवों से परे भी कोई है तो कौन है और उसकी जानकारी कहाँ से प्राप्त होगी?

सम्भवतः इसकी जानकारी भी उन्ही पुराणों में मिलेगी जिनमे त्रिदेवों से भिन्न किसी को बतलाया गया तो आइए जानते हैं किसे बतलाया है।

विष्णुपुराण, वामन पुराण  के अनुसार त्रिदेवों के उतपत्ति कारक विराट पुरुष नारायण है जिनके सहस्त्र शीर्ष हाथ इत्यादि है जोकि गीताजी के अध्याय ११ के नायक हैं और वो त्रिदेवों में विष्णु से परे नही साक्षात वही हैं।

शिव एवं वायु पुराण के अनुसार त्रिदेवों के अतिरिक्त सदाशिव हैं जिनके ५ मुख हैं और उनमें और त्रिदेवों के शंकर में कोई भिन्नता नहीं इस स्पष्ट कहा है उन सदाशिव ने त्रिदेवों में रुद्र साक्षात मैं ही हूँ।

ब्रह्मवैवर्त, भागवत , ब्रह्मांड पुराण के अनुसार त्रिदेव के कारण श्रीकृष्ण हैं।

भगवान आद्य शंकर की प्रबोधसुधाकर में भी शंकराचार्य जी ने श्रीकृष्ण को त्रिदेवों से अतिरिक्त एक सच्चिदानंदमयी नीलिमा कहा।

देवीभागवत में त्रिदेवो के कारण भगवती देवी और कृष्णजी भी हैं अध्याय ९ के अनुसार।

कुल मिलाकर देखा जाए तो त्रिदेवों के ऊपर जो हैं पुराणों अनुसार वह है:

विष्णुपुराण->नारायण(जोकि त्रिदेव के विष्णु से भिन्न नहीं)
वायु एवं शिवपुराण-> सदाशिव (जोकि त्रिदेव के रुद्र से भिन्न नहीं)
ब्रह्मवैवर्त, भागवत , ब्रह्मांड-> कृष्ण(जोकि त्रिदेव के विष्णु से भिन्न नहीं)
देवीभागवत-> देवी, कृष्ण( जिसमें देवी को शिवा और कृष्ण नारायण ही हैं)

अर्थात: त्रिदेव से भी ऊपर : त्रिदेव या विष्णु, या नारायण या शिव या देवी या कृष्ण।

कोई दूसरा है त्रिदेव के अलावा ?
नही।

इसलिए गीताजी के अध्याय १३ के श्लोक १६ में स्पष्ट है:

वह परमात्मा विभागरहित एक रूप से आकाश के सदृश परिपूर्ण होने पर भी चराचर सम्पूर्ण भूतों में विभक्त-सा स्थित प्रतीत होताहै।
वह जानने योग्य परमात्मा विष्णुरूप से भूतों को धारण-पोषण करने वाला और रुद्ररूप से संहार करने वाला तथा ब्रह्मारूप से सबको उत्पन्न करने वाला है।।

अतः त्रिदेव ही परमात्मा हैं परमात्मा ही त्रिदेव।
त्रिदेव से ऊपर भी यही त्रिदेव ही हैं।

सनातन धर्म का आधार ही हैं त्रिदेव
सनातन का आरंभ भी त्रिदेव और अंत भी त्रिदेव।।
इनके अतिरिक्त भी कोई और नहीं ये ही हैं।।।

त्रिदेव ही वेदों का : एक सत विप्र बहुधा वदन्ति मन्त्र को सिद्ध करते हैं

सब उनकी लीलामात्र है।

यदि कोई पाखण्डी बोले आपसे कि त्रिदेव से ऊपर कोई है तो पूछना कौन फिर वो बोलेगा कबीर इत्यादि तो आप उससे और कहना किसी अन्य बकवास पुस्तक नहीं अपितु पुराणों से ही प्रमाण दे कि कबीर इत्यादि ही है और फिर जब पुराणों से ही वह देने में असमर्थ रहै और ज्ञान गंगा इत्यादि बकवास पुस्तक से दे तो अतिशीघ्र ही उसकी पनही से पूजन कर देना।

जय श्रीराम।।।

1 comment:

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