कोई ब्राह्मण के वेदों को सुन ले या दोहरा दे तो कानों में पिघला शीशा भरवा दो या जीभ में छेद कर दो ; ये अधूरा मिलावटी सच तो सबने सुनाया और इस पर जमकर मनगढन्त कपोल नाटकीय धारावाहिक (सीरियल) भी बना के दिखाये
पर
उन्ही वेदों को अपना पूरा जीवन लगाकर पढ़ने वाला ब्राह्मण यदि अपने आचरण में , अपनी व्यवहार- मर्यादा में अश्लीलता लाये तो उसी के हाथों उसका गुप्तांग कटवा कर दक्षिण दिशा की ओर तब तक चलने के छोड़ दो , जब तक कि वह तड़प तड़प कर मर न जाये !
ये सच किसी ने नहीं बताया !
इन दोगलों ने कभी ऐसा सीरियल नहीं बना के दिखाया कि देश में आर्यसमाज जैसी संस्थाऐं कैसे पकड़ पकड़ कर वेद पढाने के लिये दर दर घूमती हैं, पर ये भारत को तोड़ने वाले छद्म बौद्ध नेता आर्य बनना छोड़ कर , अपने किवाड़ बन्द करके भागते हैं !
ये वही छद्म विद्रोही लोग हैं जो, इनकी अधीरता से प्रतीक्षा करने वाले आर्यसमाजी गुरुकुलों में पढ़ना छोड़कर कॉन्वेंट स्कूलों को अपना सगा बनाते हैं !
क्योंकि इनका उद्देश्य आर्य बनना नहीं है वरन् इनका उद्देश्य है भारत को आग लगा के उसका धुंवा देखना ! है कि नहीं !
#सच्चाई -
आधुनिक परमाणु विद्या से भी घातक प्राचीन वेद विद्या की रक्षा के लिये वेद को सुनने के और उसे बचाने के कड़े नियम थे । देशद्रोही या विदेशी एजेंटों के लिये आज नहीं हैं क्या शासन में कड़े नियम ? क्यों नहीं आज भी परमाणु विद्या आदि को सार्वजनिक किया जाता ?
क्षत्रियों को धनुर्वेद की और शूद्रों को स्थापत्य वेद की विविध शिल्प विद्याऐं कौन सिखाता था ?
सच्चाई तो यह थी कि ब्राह्मण ने वेद के नियम नहीं बनाये वरन् ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र सभी स्वयं वेदों के नियमों से शासित थे ।
सच्चाई तो यह थी कि वेद कुरान या बाइबिल की भॉति एक लौकिक पुस्तकविशेष मात्र न होकर विविध अलौकिक विद्याओं की एक ऐसी परम्परा थी , जिसका सीधा सम्बन्ध उस सृष्टि विज्ञान से था, जिसके आधार पर मानव और उसका पाञ्चभौतिक परिवेश विनिर्मित है ।
।। जय श्री राम ।।
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