Thursday, 6 September 2018

जातकर्म निर्णय, पुत्र होने पर पिता ते कर्तव्य

---#जातकर्म_निर्णय--

#श्रुत्वा_पुत्रं_जातमात्रं_सचैलं_स्नात्वा_कुर्याज्जातकर्मास्य_तात:!

#नालच्छेदनदात्पूर्वमेवाथवा_स्यान्नाम्नायुक्तं_पुत्रिकाया_अपीदम्!! (धर्म.)

आजकल प्रायः मनुष्य संस्कारों को विस्मरण कर चुका है,संस्कार मनुष्य को संस्कृत एवं परिष्कृत एवं देवत्व प्रदान करते हैं!
आजकल बालक चिकित्सालय में उत्पन्न होने के कारण जातकर्म संस्कार नहीं हो पाता,जिससे हम संस्कारों को भूलते जा रहे हैं,इसका एक कारण प्रमाद भी है!

प्रस्तुत श्लोक जातकर्म संस्कार के लिए ही है--->

सन्तान का जन्म श्रवण करते ही पिता आदि कर्म करनेवाला वस्त्रसहित स्नान करके,

ध्यान रहे जबतक नालच्छेदन नहीं होता तबतक सूतक नहीं लगता---->

#यावन्न_छिद्यते_नालस्तावन्नाप्नोति_सूतकम्!
#छिन्ने_नाले_तत:#पश्चात्_सूतकं_तु_विधीयते!!

नालोच्छेदन के पूर्व ही जातकर्म संस्कार कर लेना चाहिये,यदि उस समय किसी कारणवश यह संस्कार नही हो पा रहा हो तो ""नामकरण""के समय जातकर्म करे!

जन्म से छः मुहूर्त अर्थात लगभग पाँच घण्टे के भीतर और संकटकाल में आठ मुहूर्त अर्थात छः घण्टे के भीतर नालोच्छेदन हो जाना चाहिए!

तदनन्तर सूतक तो लगेगा ही,चाहे नालोच्छेदन हो या ना हो---->>

#कालप्रतीक्षा_बालस्य_नालच्छेदनकर्मणि!
#षण्मुहूर्त्तात्परं_कार्यं_संकष्टेऽष्टमुहूर्तके!!
#तदूर्ध्वं_छेद्यमच्छेद्यं_पित्रादि:#सूतकी_भवेत्!!

  नमः शम्भवाय!!

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