वेदों का अनुयायी बनिये , अपने कुल की शाखा , सूत्र आदि के अनुसार अपने आचारधर्म का पालन कीजिये ।
गर्भाधान, पुंसवन आदि वैदिक संस्कारों का पालन कीजिये ।
ब्राह्मण को वेद, वेदाङ्गों (गृह्यसूत्र, धर्मसूत्र आदि) के नियमों को जीवन में उतारना है ।
अपनी इस सनातन कुल परम्परा वाले वेद मार्ग को छोड़कर ये भक्ति के नाम पर कथित वैष्णव पन्थों के पीछे माला , मुद्रा में भटकने पर ब्राह्मण नरकगामी हो जायेगा ,
देखिये , स्वयं श्री भगवान् नारायण का वचन है -
#तप्तमुद्राङ्किता_ये_च_वैखानसमतानुगाः ।
#ते_सर्वे_निरयं_यान्ति_वेदमार्गबहिष्कृताः ।।
[ श्रीमद्देवीभागवतपुराणम् ११।०१।३१]
इसलिये कलियुग के अवैदिक कुमार्गों से बचिये, सनातन वैदिक सन्मार्ग पर चलिये ।
।। जय श्री राम ।।
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