Wednesday, 12 September 2018

तथाकथित वैष्णव मुद्रा आदि का निषेध

वेदों का अनुयायी बनिये , अपने  कुल की शाखा , सूत्र आदि   के अनुसार अपने  आचारधर्म का पालन कीजिये । 

गर्भाधान, पुंसवन आदि वैदिक संस्कारों का पालन  कीजिये ।

ब्राह्मण को वेद, वेदाङ्गों  (गृह्यसूत्र, धर्मसूत्र आदि)  के  नियमों को जीवन में उतारना है ।

अपनी इस  सनातन कुल परम्परा वाले वेद मार्ग को छोड़कर ये  भक्ति के नाम पर  कथित वैष्णव पन्थों के पीछे माला , मुद्रा  में भटकने पर ब्राह्मण  नरकगामी हो जायेगा ,

देखिये ,  स्वयं  श्री भगवान् नारायण का वचन है -

#तप्तमुद्राङ्‌किता_ये_च_वैखानसमतानुगाः ।
#ते_सर्वे_निरयं_यान्ति_वेदमार्गबहिष्कृताः  ।।

[ श्रीमद्देवीभागवतपुराणम्  ११।०१।३१]

इसलिये   कलियुग के  अवैदिक    कुमार्गों से बचिये,  सनातन वैदिक सन्मार्ग पर चलिये ।

।। जय श्री राम ।।

No comments:

Post a Comment

ज्ञ वर्ण का उच्चारण

'ज्ञ' वर्ण के उच्चारण पर शास्त्रीय दृष्टि- संस्कृत भाषा मेँ उच्चारण की शुद्धता का अत्यधिक महत्त्व है। शिक्षा व व्याकरण के ग्रंथोँ म...