स्त्री में ऐसा क्या है कि प्रायः बड़े से बड़े विवेकी ज्ञानी भी उससे आकर्षित हो जाते हैं ?
#उत्तर - सुनिये, वो '#क्या' क्या है -
श्री आद्य शंकराचार्य कहते हैं कि श्री भगवान् तेजस्वियों के भी तेज हैं । प्राणी में जो तेज होता है, वह स्वयं परमात्मा की ही विभूति होता है और ध्यातव्य है कि इस संसार के समस्त उन अतुल्य तेजस्वियों का तेज , जो कि देवत्व से परिपूर्ण थे, वो जब एकत्र हुआ था , तब एक नारी की सृष्टि हुई थी -
अतुलं तत्र तत्तेजस् सर्वदेवशरीरजम्।
एकस्थं तदभून्नारी व्याप्तलोकत्रयं त्विषा।।
यही आद्या नारी परमेश्वरी कहलायी , इस आद्या नारी की कला ही इस संसार की स्त्रियॉ हैं ।
इसलिये एक स्त्री संसार के बड़े से बड़े तेजस्वियों को भी अपने अस्तित्व के तेज से प्रभावित करती है !
ज्ञानियों के भी चित्त को हरण करके बलात् मोह के नरककुण्ड में फेंकने वाली ये स्त्रियों में जो सबके अन्तःकरण को जानने वाली महामाया बसी हैं , वही सबको आकर्षित करती हैं ।
ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ।।
।। जय श्री राम ।।
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