Friday, 13 July 2018

नारी पर ज्ञानी विवेकी भी मोहित क्यों होते हैं ?

स्त्री में ऐसा क्या है कि प्रायः  बड़े से बड़े  विवेकी ज्ञानी  भी उससे आकर्षित हो जाते हैं ?

#उत्तर -   सुनिये,  वो '#क्या' क्या है -

श्री आद्य शंकराचार्य कहते हैं कि श्री भगवान् तेजस्वियों के भी तेज हैं  ।   प्राणी में जो तेज होता है, वह स्वयं परमात्मा की ही विभूति होता है  और  ध्यातव्य है कि  इस संसार के  समस्त  उन  अतुल्य  तेजस्वियों का तेज , जो कि देवत्व से परिपूर्ण थे, वो जब एकत्र हुआ था , तब एक नारी की सृष्टि हुई थी -

अतुलं तत्र तत्तेजस् सर्वदेवशरीरजम्।
एकस्थं तदभून्नारी व्याप्तलोकत्रयं त्विषा।।

यही आद्या नारी परमेश्वरी कहलायी , इस आद्या नारी की कला ही  इस संसार  की स्त्रियॉ हैं ।

इसलिये एक स्त्री संसार के बड़े से बड़े तेजस्वियों को भी अपने अस्तित्व के तेज से  प्रभावित करती है !

ज्ञानियों के भी चित्त को हरण करके बलात् मोह के नरककुण्ड में फेंकने वाली ये स्त्रियों में जो   सबके अन्तःकरण को जानने वाली महामाया बसी हैं , वही सबको आकर्षित करती हैं ।

ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय  महामाया प्रयच्छति ।।

।। जय श्री राम ।।

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