Wednesday, 6 June 2018

शिखा को काटने वाले का प्रयाश्चित्त

शिखां छिन्दन्ति यो मोहात् द्वेषादज्ञानतोऽपि वा। तप्तकृच्छ्रेण शुद्ध्यन्ति त्रयोवर्णाद्विजातयः।।हारितः।।

खल्वाटादिकदोषेण विशिखश्चेन्नरो भवेत्। कौशीं तदा धारयेत  ब्रह्मग्रन्थियुतैर्शिखाम्।। दक्षिणकर्णोपर्याशिखाबन्धनवत्तिष्ठेत्।। तत्रैव।।

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