शिखां छिन्दन्ति यो मोहात् द्वेषादज्ञानतोऽपि वा। तप्तकृच्छ्रेण शुद्ध्यन्ति त्रयोवर्णाद्विजातयः।।हारितः।।
खल्वाटादिकदोषेण विशिखश्चेन्नरो भवेत्। कौशीं तदा धारयेत ब्रह्मग्रन्थियुतैर्शिखाम्।। दक्षिणकर्णोपर्याशिखाबन्धनवत्तिष्ठेत्।। तत्रैव।।
'ज्ञ' वर्ण के उच्चारण पर शास्त्रीय दृष्टि- संस्कृत भाषा मेँ उच्चारण की शुद्धता का अत्यधिक महत्त्व है। शिक्षा व व्याकरण के ग्रंथोँ म...
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