श्री भगवान् आद्य शंकराचार्य के छः अपराधी , जिनका #नरक जाना ध्रुव है -
#द्विपीठाभिषेक -
१- #अनुमन्ता - अनुमति देने वाला -
हॉ करो करो अभिषेक ! होना चाहिये अभिषेक !
२- #विशसिता - टुकड़े करने वाला -
इस पीठ पर करो अभिषेक !
३- #निहन्ता - मारने वाला -
ये लो ये मैं कर रहा हूं तुम्हारा अभिषेक !
४- #क्रय_विक्रयी - लेनदेन हिसाब करने वाला -
अभिषेक प्रसारक मीडिया , फोटोग्राफर, आयोजन में पैसा लगाने वाले !
५- #संस्कर्त्ता - पकाने वाला !
- इस विधान से हो अभिषेक !
५- #उपहर्त्ता - परोसने वाला !
अभिषेक इस प्रकार उचित है , इति सिद्धम् !
६- #खादकाः - खाने वाले !
मैं द्विपीठाभिषिक्त शंकराचार्य हूं ! (और तदनुवर्तिनी समस्त अग्रिम अभिषिक्त शिष्य परम्परा )
#अनुमन्ता_विशसिता_निहन्ता_क्रयविक्रयी ।
#संस्कर्त्ता_चोपहर्त्ता_च_खादकाश्चेति_घातकाः ।।
।। जय श्री राम ।।
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