अपने को भक्त बताने वाले आधुनिक भक्तिवादी सुनें-
भगवान् ने कहा है -
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श्रुतियॉ और स्मृतियॉ - मेरी ही आज्ञाऐं हैं , जो इनको उल्लंघन करके चलता है, वह न मेरा भक्त है, न वैष्णव ।
भगवान् का आदेश -
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मेरा भक्त अपनी शाखा के गृह्यसूत्र की विधि के अनुसार उपनयन-संस्कार के अनन्तर द्विजत्व प्राप्त कर भक्तिपूर्वक अपने शुद्ध कुलीन ब्राह्मण सद्गुरु के पास जाये, और उनसे मन्त्र ग्रहण करे ।
और फिर विधिवत् शास्त्रोक्त नित्यकर्म करके उन गुरुदेव की बतायी हुई विधि से अपने हृदय में, अग्नि में, प्रतिमा आदि में अथवा सूर्य में केवल मेरी ही सेवा -पूजा करे । अथवा शालग्राम-शिलामें ही मेरी उपासना करे ।
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#नित्यकर्मों की जानकारी हेतु पढें - #नित्यकर्म_पूजाप्रकाश (गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित)
साभार - आदि शंकराचार्य संदेश
।। जय श्री राम ।।
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