क्या मृत्यु के बाद नेत्रादि अंगदान आदि उचित है ?
#उत्तर - कदापि नहीं । दधीचि ऋषि , राजा शैब्य या फिर राजा अलर्क आदि ने जीवितावस्था में अपना देह अथवा अंग दान किया था ।
#पुरुषाहुतिर्ह्यस्य_प्रियतमा इत्यादि वचनों के अनुसार अग्नि में शव की आहुति दी जाती है #सूर्यं_ते_चक्षुर्गच्छतु आदि भी वाक्य हैं हवनीय द्रव्य शव में अग्नि का अधिकार होने से उसे बुद्धिपूर्वक व्यङ्ग करने का कोई औचित्य नहीं है ।
शव का कोई अंग काटने से अगले जन्ममेंजीवको वो अंग नहीं मिलता । इसी रीति से शव में शल्य कार्य (पोस्टमार्टम) भी अशास्त्रीय. होने से सर्वथा अनुचित है ।
।। जय श्री राम ।।
No comments:
Post a Comment