जो देवद्विज - दो अर्थ में अर्थात् देवता और द्विजों की कोटी में देवतापद प्राप्त हैं वह भूदेव,विप्र,ब्राह्मण का द्रव्य - रूपये-पैसे, नानाविध-वस्तुओं का हरण करता हैं, जो द्विज अन्त्यजा का गमन करता हैं उसे मरणतुल्य पाण्डुरोग(कमळो)होता हैं -@कर्मविपाक-सं०सूर्यारुणसंवाद
#देवद्विजद्रव्यहारी_पाण्डुरोगी_भवेन्नरः।। २४/१।।
#अन्त्यजागमने_मर्त्यः_पाण्डुरोगो_प्रजायते।। २४/४।।
Friday, 18 May 2018
ब्राह्मण का शूद्रीगमन फल,
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ज्ञ वर्ण का उच्चारण
'ज्ञ' वर्ण के उच्चारण पर शास्त्रीय दृष्टि- संस्कृत भाषा मेँ उच्चारण की शुद्धता का अत्यधिक महत्त्व है। शिक्षा व व्याकरण के ग्रंथोँ म...
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जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद् द्विज उच्यते। वेदपाठाद् भवेद् विप्रः ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः।। इसके आधार पर यदि आप इसका ये अर्थ करतें हैं क...
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#पूर्णपात्र_रहस्य यज्ञ में ब्रह्माजी का पद सबसे वरिष्ठ होता है ।यह सृष्टि भी यज्ञस्वरूप ही है। #यज्ञेन_यज्ञमयजन्तदेवा:...... यह सृष्टि ...
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रामपाल तो सामने आने से रहा , तथापि रामपाल के कथित चेलों के माध्यमेन इसे सामने ( लाइन हाजिर ) लाकर इसकी पोल खोली जा रही है , य...
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