Monday, 14 May 2018

विकास किसे कहते है

क्या है #विकास ?
( What is  #Development )

वेद मानव के विकास की चार संहिताऐं हैं । ब्राह्मण ग्रन्थ विकास की सिद्ध पद्धतियॉ हैं, आरण्यक ग्रन्थ विकास की  उच्चतर गहन  प्रक्रियाऐं और विवेचन  हैं  और उपनिषद् विकास के लक्षण ग्रन्थ हैं ।

गृह्यसूत्र विकास के पारम्परिक ग्रन्थ हैं, धर्मसूत्र विकास के सैद्धान्तिक ग्रन्थ, श्रौतसूत्र विकास के  सूत्र ग्रन्थ हैं, और शुल्वसूत्र विकास के ज्यामितिप्रधान ग्रन्थ ।

रामायण व महाभारत विकास  की  व्याख्याऐं  हैं और पुराण  विकास की अभिधारणाऐं  हैं  ।

ब्राह्मण विकास का सूत्रधार है ,  क्षत्रिय विकास का संरक्षक है , वैश्य विकास का परिपोषक है और शूद्र विकास का कार्यकर्ता ।

ब्रह्मचर्य, गृहस्थ , वानप्रस्थ और संन्यास - ये चार आश्रम विकास के वे  चार   क्रमशः  उत्कृष्ट  प्रायोगिक   कार्यस्थल हैं, जहॉ विकास की सारी  कार्यवाही सम्पादित की जाती है ।

सत्य को यदि  हजार अहंकारी भी मिलकर एक स्वर से  नहीं स्वीकार करेंगे  तो भी सत्य का  इस उद्घोष से  कुछ नहीं बिगडेगा ,

वे अहंकारी ही भोगेंगे  अपने अज्ञान के भयावह  परिणाम ।
साभार- आद्यशंकरसंदेश
।। जय श्री राम ।।

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