क्या है #विकास ?
( What is #Development )
वेद मानव के विकास की चार संहिताऐं हैं । ब्राह्मण ग्रन्थ विकास की सिद्ध पद्धतियॉ हैं, आरण्यक ग्रन्थ विकास की उच्चतर गहन प्रक्रियाऐं और विवेचन हैं और उपनिषद् विकास के लक्षण ग्रन्थ हैं ।
गृह्यसूत्र विकास के पारम्परिक ग्रन्थ हैं, धर्मसूत्र विकास के सैद्धान्तिक ग्रन्थ, श्रौतसूत्र विकास के सूत्र ग्रन्थ हैं, और शुल्वसूत्र विकास के ज्यामितिप्रधान ग्रन्थ ।
रामायण व महाभारत विकास की व्याख्याऐं हैं और पुराण विकास की अभिधारणाऐं हैं ।
ब्राह्मण विकास का सूत्रधार है , क्षत्रिय विकास का संरक्षक है , वैश्य विकास का परिपोषक है और शूद्र विकास का कार्यकर्ता ।
ब्रह्मचर्य, गृहस्थ , वानप्रस्थ और संन्यास - ये चार आश्रम विकास के वे चार क्रमशः उत्कृष्ट प्रायोगिक कार्यस्थल हैं, जहॉ विकास की सारी कार्यवाही सम्पादित की जाती है ।
सत्य को यदि हजार अहंकारी भी मिलकर एक स्वर से नहीं स्वीकार करेंगे तो भी सत्य का इस उद्घोष से कुछ नहीं बिगडेगा ,
वे अहंकारी ही भोगेंगे अपने अज्ञान के भयावह परिणाम ।
साभार- आद्यशंकरसंदेश
।। जय श्री राम ।।
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