चार प्रकार के पुरुषों (ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , शूद्र ) के चार प्रधान पुरुषार्थ (धर्म , अर्थ काम , मोक्ष ) -
शूद्र योनि कामपुरुषार्थ के लिए है (गृहस्थ पूर्वक कामेच्छा सुख )
वैश्य योनि अर्थपुरुषार्थ के लिए है (कृषि वाणिज्य धन वैभव आदि से सुख )
क्षत्रिय योनि धर्मपुरुषार्थ के लिए है (यागादि से सुख )
किन्तु
ब्राह्मण योनि मोक्षपुरुषार्थ के लिए होती है | (मोक्ष सुख )
अतः ब्राह्मण होकर भी जो मोक्ष के लिए प्रयत्न नहीं करता , उससे बड़ा अभागा कौन होगा भला ?
|| जय श्री राम ||
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