Tuesday, 27 March 2018

विवाह संस्कार का महत्त्व

हमारे सनातन वैदिक धर्म की विहित  विवाह संस्कार. की प्राचीन     परम्परा  में जो   आज विकृति आयी है, उस कारण प्रायः-  प्रायः  सारे युवा   आजकल के  परस्त्री -लम्पट हो गये हैं ।

वैदिक परम्परा में बहुत शीघ्र   ही यह संस्कार  सम्पन्न कर लिया जाता था ।  क्यों?    परिणाम स्वयं चीख चीख कर कारण बता रहे हैं !

सही समय पर  शास्त्रीय संस्कारों  का कितना गम्भीर महत्त्व है, ये स्पष्ट है ।

ऋषि-मुनियों से ज्यादा समझदार समझने का   कुछ कलिग्रसित   अज्ञानियों का अभिमान सारे  मानव -समाज को ले डूबा ।

कहते हैं , // अपना जीवनसाथी चुनने का  अधिकार हमको स्वयं होना चाहिये, जिन्दगी हमने बितानी है , मॉ बाप को नहीं ///

अरे   अज्ञानी बालक !    जीवनसाथी  जिन्दगी बिताने के लिये नहीं चुनते , अपितु जीवन और मृत्यु के चक्रव्यूह  से पार उतर कर  आत्मकल्याण पाने के लिये  चुनते हैं !

और तेरे शरीर पर तो तुझसे पहले तेरे माता पिता का अधिकार है !  क्योंकि तू उनका ऋणी है !  तुझे ऐसा क्यों लगता है कि तेरे माता पिता का निर्णय तेरा निर्णय नहीं ?  यही तो है  तेरे सिर पर चढा हुआ  कलियुग !   तू तो  उनका ही अधिकार   कुचल गया!

।। जय श्री राम ।।

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