हमारे सनातन वैदिक धर्म की विहित विवाह संस्कार. की प्राचीन परम्परा में जो आज विकृति आयी है, उस कारण प्रायः- प्रायः सारे युवा आजकल के परस्त्री -लम्पट हो गये हैं ।
वैदिक परम्परा में बहुत शीघ्र ही यह संस्कार सम्पन्न कर लिया जाता था । क्यों? परिणाम स्वयं चीख चीख कर कारण बता रहे हैं !
सही समय पर शास्त्रीय संस्कारों का कितना गम्भीर महत्त्व है, ये स्पष्ट है ।
ऋषि-मुनियों से ज्यादा समझदार समझने का कुछ कलिग्रसित अज्ञानियों का अभिमान सारे मानव -समाज को ले डूबा ।
कहते हैं , // अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार हमको स्वयं होना चाहिये, जिन्दगी हमने बितानी है , मॉ बाप को नहीं ///
अरे अज्ञानी बालक ! जीवनसाथी जिन्दगी बिताने के लिये नहीं चुनते , अपितु जीवन और मृत्यु के चक्रव्यूह से पार उतर कर आत्मकल्याण पाने के लिये चुनते हैं !
और तेरे शरीर पर तो तुझसे पहले तेरे माता पिता का अधिकार है ! क्योंकि तू उनका ऋणी है ! तुझे ऐसा क्यों लगता है कि तेरे माता पिता का निर्णय तेरा निर्णय नहीं ? यही तो है तेरे सिर पर चढा हुआ कलियुग ! तू तो उनका ही अधिकार कुचल गया!
।। जय श्री राम ।।
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