आप धार्मिक हो तो फेसबुक कम्प्यूटर आदि क्यों चलाते हो ?
उत्तर : मौलिक अधिकारी होने से ।
फेसबुक , कम्प्यूटर , बैटरी आदि जितने भी यान्त्रिक संसाधन आज समाज में हैं, ये सबका मूल वेद है ।
धर्म और विद्या दोनों का मूल वेद है ।
फेसबुक की संस्थापना के पीछे दिव्य नरेन्द्र और नीमकरोली बाबा की भूमिका हो या कम्प्यूटर के बीज के पीछे पुरी पीठ के शंकराचार्य का वैदिक गणितीय ज्ञान अथवा बैटरी की अवधारणा के पीछे अगस्त्य संहिता के सूत्र ; विधिक रुपमें इस मौलिक अधिकार तो हम आस्तिकों का ही हुआ !
यह सत्य किसी से छिपा नहीं है कि वैश्विक स्तर पर भारतीय ज्ञानविज्ञान को विकसित कर अपने नाम से अंकित कराने का विदेशी षडयन्त्र वर्षों से चला आता रहा है ।
गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त, डीएनए विज्ञान , परमाणु अवधारणा, विमान विद्या , खगोलीय विज्ञान , चिकित्सा विज्ञान आदि जितनी भी वैज्ञानिक विधाऐं आज विश्वपटल पर संस्थापित हैं , उन सबका मूल बीज हमारे वेदों से, हमारे आस्तिक आचार्यों से ही विश्वविख्यात शोधार्थियों ने प्राप्त किया है ।
भूतकाल में जो कुछ घटित हुआ है , वर्तमान् में जो घटित हो रहा है तथा भविष्य में भी जो घटित होगा , वह सब हमारे वेद से प्रसिद्ध है ।
भूतं भव्यं भविष्यञ्च सर्वं वेदात् प्रसिद्ध्यति ।।
वस्तुतः यह प्रश्न तो हमें आपसे पूछना चाहिये कि तुम यदि धार्मिक नहीं हो , आस्तिक नहीं हो तो तुम ये सब संसाधन क्यों चलाते हो ?
।। जय श्री राम ।।
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