Sunday, 25 February 2018

शर्मा, वर्मा आदि का प्रमाण

#दास शब्द की मौलिकता -

वैदिक  शास्त्रों   में शर्मा , वर्मा , गुप्ता और दास , ये चार उपनाम क्रमशः ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य व शूद्र से सम्बद्ध माने गये हैं !

शास्त्र  कहते  हैं  - 

ब्राह्मण का  शर्मा  शब्द से  युक्त , क्षत्रिय का  रक्षा  शब्द से युक्त , वैश्य का  पुष्टि  शब्द से युक्त और  शूद्र  का  'दास'  शब्द  से  युक्त  उपनाम रखना  चाहिए -

शर्मवद् ब्राह्मणस्य स्याद्राज्ञो रक्षासमन्वितम्।
वैश्यस्य पुष्टिसंयुक्तं शूद्रस्य प्रेष्यसंयुतम् ।। (मनुस्मृतिः २/३२ )

इस श्लोक की टीका  में  मन्वर्थमुक्तावलीकार  आचार्य श्री  कुल्लूक भट्ट स्पष्ट  उदाहरण  देते  हुए  कहते  हैं  -

//////////उदाहरणानि  तु  -  शुभशर्मा , बलवर्मा , वसुभूतिः  दीनदास इति ।  तथा  च  -
शर्म देवश्च विप्रस्य वर्म त्राता च भूभुजः ।
भूतिदत्तश्च वैश्यस्य  #दासः_शूद्रस्य_कारयेत् ।। /////////////

और  फ़िर्  विष्णुपुराण  का  प्रमाण  अवतरित  करते  हुए  आचार्य  श्री  कुल्लूक भट्ट कहते हैं -

////////विष्णुपुराणेsप्युक्तम् -

शर्मवद्  ब्राह्मणस्योक्तं  वर्मेति क्षत्रसंयुतम् ।
#गुप्तदासात्मकं_नाम_प्रशस्तं_वैश्यशूद्रयोः ।। (विष्णुपुराणम् ३।१०।०९ ) //////

ये तो हुई  #दास#  शब्द  पर  पारम्परिक सनातनी वैदिक दृष्टि !

..........................इसी के साथ  भारत के सनातन हिन्दू धर्म की #दास_प्रथा पर आधुनिक कथित सामाजिक विचारकों व इतिहासकारों की दृष्टि इस वक्तव्य (पोस्ट ) में अवतरित किये गए कुछ पृष्ठों के माध्यम से अवलोकन करें ! पुस्तक : प्राचीन भारत का सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास  ।। लेखक - डॉ० शिवस्वरूप सहाय ।।

।। जय श्री राम ।।

No comments:

Post a Comment

ज्ञ वर्ण का उच्चारण

'ज्ञ' वर्ण के उच्चारण पर शास्त्रीय दृष्टि- संस्कृत भाषा मेँ उच्चारण की शुद्धता का अत्यधिक महत्त्व है। शिक्षा व व्याकरण के ग्रंथोँ म...