Monday, 26 February 2018

यज्ञोपवीत संस्कार रहित व्यवहार में वर्ज्य है

यज्ञोपवीत संस्कार  के  नियम  से  विहीन  ब्राह्मण   व्यवहार -बहिष्कृत   हैं  -

जिस ब्राह्मण के पिता  या पितामह  आदि  का विधिवत्   यज्ञोपवीत-संस्कार  नही हुआ  ,  जिन्हें  वेद -शास्त्रों  की  जानकारी  नहीं , जो   आचार संस्कार  की  परम्परा से  विच्छिन्न  हैं  ,    वह उसके पिता , पूर्वज ब्रह्मघाती  हैं  , उनके  साथ  रोटी -बेटी  का  कोइ  सम्बन्ध  नही रखना  चाहिये  , ऐसे  ब्रह्मघाती  कुलों  को  अपने लिये   प्रायश्चित्त  की  कामना  करनी  चाहिये ।

यस्य पिता पितामह इत्यनुपेतौ स्यातां ते ब्रह्महसंस्तुताः,  तेषामभ्यागमनं भोजनं विवाहमिति च वर्जयेत्।  तेषामिच्छतां प्रयश्चितम्। (श्रीआपस्तम्बधर्मसूत्रम् १/१/३२-३४ )

इसी  प्रकार  सन्ध्यादि   से  विहीन ब्राह्मण  भी  अत्यन्त  निन्दनीय  जानने  चाहिये  । शास्त्र  मे  कहा  गया  है  कि  कलियुग  मे  अनगिनत   राक्षस  ब्राह्मण कुलों  मे  जन्म  लेंगे ।  ऐसे  ब्राह्मण नामधारी   राक्षसों  से  कुलीन सभ्य सुसंस्कृत   ब्राह्मणों  को  सदैव  सावधान  रहना  चाहिये  ।  अस्तु ।

नीतिशास्त्र  में  भी  कहा  गया  है  कि  जिनके पास विद्या, तप, ज्ञान, शील, गुण और धर्म में से कुछ नहीं ,  ऐसे  वह मनुष्य   धरती  के  भार   हैं  ,  तथा  वे   ऐसा जीवन व्यतीत करते हैं जैसे एक मृग  (वनचर पशु )  -

येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः ।
ते मर्त्यलोके  भुविभारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ।। 

।। जय  श्री  राम  ।।

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