द्विजत्व संरक्षण पूर्वायोजन
(१) निरववातावरण युक्त कम से कम नवयुगल दंपती प्रकृति की गोद में रह सकें ऐसा आवास
(२)आवास में ठहरने योग्य तीनों कुलों(वर्णक्रम से सात,पाँच,तीन पैढ़ी की विशुद्धता - मातृकुल,पितृकुल और स्वकृत विवाह से प्रतिलोम वर्णसंकर न हो)से सुरक्षित नवदंपतीयों का प्रवेश
(३) आवासक्षेत्र के पास पानी का विशाल जलाशय किं वा हॉज, चारौं ओर पीपल,बरगद,अशोक,आम,वट,औदुम्बर,पालाश,दाड़िम,नीम आदि के वृक्षों का संवर्धन, (औषधीय उद्यान का संरक्षण- अश्वगंधा,लक्ष्मणा,सफेद-कंटकारी,आँवला,शतावरी,तुलसी,सफेद दूब आदि का संवर्धन) तथा पुष्पवाटिका(मोगरा,चंपा,गुलाब,जासूद,दौनों प्रकार के करेन आदि पुष्पतरु)--
(४)आयुर्वैदीक उपचार के लिए - बृंहण,वाजीकर,वंध्यत्वनिवारक औषधी तथा पञ्चकर्म गर्भिणी-चिकित्सा और देशीगायों की व्यवस्था से नित्य पञ्चगव्य निर्माण-अभिमंत्रण और दंपतीयों को खाद्य केशर,जातीपत्र,ऐलची आदि सुगंधित द्रव्यों को मिलाकर पिलाने का आयोजन - नित्य दंपतीयों के स्नान हेतु - मिट्टी,पन्चगव्य और आयुर्वेद के द्रव्यों मिश्रित -साबुन, केशशोधन चूर्ण,द्रव आदि की व्यवस्था -- आयुर्वेद पद्धति के गर्भिणी चिकित्सा -प्रसव व बालतंत्र के जानकार शल्य,शोधन उपचारक विशुद्ध चिकित्सकों - वर्णसंकरता को प्राप्त न हो ऐसी दायन आदि,
(५) भोजनकक्ष व भंडारा -- भोजन कक्ष में संग्रहित अनाज व निर्मित सुपाच्य हल्के आहार के शोधन हेतु - ब्राह्मण द्वारा नित्यवैश्वदेव तथा पाकबनानेवाले केवल विशुद्ध- ब्राह्मण-युवक युवतीयाँ (पाकशाला जगह जगह पर "राम नाम"श्रवण योग्य ध्वनियंत्र) भोजन पूर्वतैयारी में नवदंपतीयों को साथ में मिलकर चक्कीपीसना, अनाज साफ करना, पुरुषों को शाक सुधारना आदि स्वावलंबी कार्यों का आयोजन, भोजन चुल्ही पर या भठ्ठीयों में निर्माण हो ..
(६) नित्य ब्राह्ममूर्हुत जागरण के लिए - डंके,बैल या स्वयं ऊंचे स्वर में राम-राम कहकर नवदंपतीयों को जगाया जाय, शौचाचार का मार्गदर्शन तथा स्नानोपरांत अधिकारी उपनीतद्विजों का समूह में प्रातःसन्ध्योपासना , प्रभात फेरी (भजगोविंदम्), अल्पाहार योग्य फल दूध पञ्चगव्य आदि,रामचरित मानस का समूह में गान -
नवदंपतीयों द्वारा - वृक्षों ,पुष्पवाटिका का जतन और नित्यजल प्रदान शोधन आदि से मावजत - प्रतिदिन गरीबों को (नित्य -- देयं दीनजनाय वित्तं), ब्राह्मणों का पाद्यार्चन अभिवादन आदि ..
(७) जो द्विज व्रात्य हो चूकें हो उनकी प्रत्याम्नायोचितविधि (तिलहोम पक्ष ब्राह्मण द्वारा)से शुद्धि पूर्वक उपनयन और प्राप्त उपनयन की मर्यादाओं का संरक्षण का मार्गदर्शन..
(८)उचित जन्माध्याय/नष्टजातक के गणित प्रकार आदि से गर्भाधानोचित मुर्हूत के दिन *गर्भाधान संस्कार* और गर्भाधान योग्य मंत्र की गर्भाधान से पहले पंद्रहदिन पूर्व दिक्षा तथा मार्गदर्शन आदि ..
जो जो विद्वान -- आयोजन में कुछ अधिक प्रशस्त रूपरेखा बनाना चाहे वह इसमें - अपने निर्णय को जोड़ सकतें हैं
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