Saturday, 10 February 2018

#शिवरात्रि_में_लोकाचार_का_स्थान_व_महत्त्व -


भ्रम : - भ्रम की बजह फाल्गुण कृष्ण चतुर्दशी तिथि है |

निवारण :- भ्रम की बजह फाल्गुण कृष्ण चतुर्दशी तिथि नहीं है | भ्रम का कारण शास्त्राचार तथा लोकाचार अथवा देशाचार को ठीक से न समझना अथवा उसका समुचित ज्ञान न होना है |

प्रश्न: - ये लोकाचार और देशाचार क्या है ,ब्राह्मण देव कृप्या विस्तार पूर्वक इस ज्ञान को परिभाषित करें 🙏

उत्तर :- परम्परा से जो लोक में शास्त्र अविरुद्ध आचार है वही लोकाचार होता है| इसी प्रकार किसी क्षेत्र विशेष या देश विशेष में जो आचार शास्त्र अविरुद्ध चल रहा है वही देशाचार है | ऐसे ही कुलाचार, शिष्टाचार आदि को भी जानना चाहिए |

आक्षेप: - पढ़े लिखे विद्वान भी अगर शास्त्रों में लिखे विद्वानों के लेख पर न चलें और अंततः लोकाचार अथवा परम्पराओं की बात करें तो ये शास्त्रोक्त कदापि भी तर्कसंगत नहीँ हो सकता । ये मात्र रूढिवादी विचारधारा है । क्षमा चाहता हूँ

निराकरण:- यही बात में आपको कहता हूं कि पढे लिखे हो और शास्त्र सम्मत लोकाचारादि को रूढिवाद कहने की भूल कर रहे हो| आपने मेरे वक्तव्य को अच्छे से नहीं पढा| मैने उसी में कह दिया है कि लोकाचार आदि शास्त्र अविरुद्ध ही प्रमाण होता है | शास्त्र स्वयं लोकाचार को प्रमाण करता है | अछा ये बताईए सैंई लगाना शास्त्राचार है या लोकाचार ?

प्रश्न:- शर्मा जी! शिवरात्रि के कितने पहर की पूजा होती है ,और भगवान शिव का विसर्जन किस समय उत्तम है ,और ये भी बताने की कृपा करें कि क्या अमावस्या को भी शिवरात्रि मनाना लोकाचार कहलाएगा ।
सैई भगवान का एक लिंग रुप है ,जिसे लोग भगवान मानकर इसकी विधिवत पूजा अर्चना करते हैं ।

उत्तर:- शिवरात्रि निशीथ व्यापिनी कृष्ण चतुर्दशी को ही होगी व चतुर प्रहर पूजा भी उसी रात्रि को होगी| सैंई क्या है ये नहीं पूछा मैंने मेरा प्रश्न है सैंई लगाना लोकाचार है या शास्त्राचार ? लोकाचार में भी शिवरात्रि के लिए चतुर्दशी का ही पूजन होता है |

प्रश्न:- जिस त्रयोदशी की महानिशा में चतुर्दशी प्राप्त हो उसमें शिवरात्रि व्रत और जागरण करना अति उत्तम है । वही महाशिवरात्रि है । जबकि 14 की रात्रि तो चार पहर की पूजा ही नहीँ हो सकती ॥

उत्तर:- आप पहले मेरे लेख को अछे से पढिए व मनन करिए|
मैं कब कह रहा हूं कि 14 को व्रत करो या प्रहर पूजा करो ? मैं तो 13 को ही व्रत व पूजन का निर्देश कर रहा हूं | आप पहले लेख तो अछे से पढिए |

भ्रम:- मैं समझ गया हूँ ,ब्राह्मण देव ! आप लोकाचार की बात कर रहे हैं जहाँ से शास्त्रों का कोई औचित्य नहीँ

निवारण:- ये लीजिए लोकाचार को प्रमाणित करने वाले प्रमाण -
पर्वतीय प्रदेश में शिवरात्रि मनाने में #लोकाचार भी प्रमाण रहा है  | शास्त्र भी देशाचार, लोकाचार को मान्य करतें है | यथा -    
महर्षि पारस्कर आदि कहते हैं –”ग्रामवचनं च कुर्युः”-।। 11।। “विवाहश्मशानयोर्ग्रामं प्राविशतादिति वचनात् ‘।।12।।“तस्मात्तयोर्ग्रामः प्रमाणमिति श्रुतेः ।।1—–प्रथमकाण्ड, अष्टमी कण्डिका । पारस्करगृह्यसूत्र”

विवाह और श्मशान सम्बन्धी कार्यों में ( ग्रामवचनं = स्वकुलवृद्धानां स्त्रीणां वाक्यं कुर्युः ) अपने कुल की वृद्ध महिलाओं की बात मानकर कार्य करना चाहिए ।

अग्रज इसका मतलब ये वचन गलत है।।

इसीलिए मैं पहले ही आपको कह रहा था कि मेरे लेख अछे से पढ लीजिए | और आप विना जाने यह कह रहे है कि लोकाचार से शास्त्रों का कोई औचित्य नहीं है | विना प्रमाण व विना जाने ऐसा कथन नहीं करना चाहिए |

  अछा ये बताईए #खारका करते हो ? वह भी लोकाचार है | सैंई लगाते हो ? वह भी लोकाचार है | लोकाचार नहीं है तो शास्त्र में इनका प्रमाण दिखाईए !

भ्रम:- हम भगवान शिव की सैई रुप में ही पूजा करते हैं ,लोकाचार से नहीँ शास्त्रोक्त करते हैं ।

निवारण :- अछा! किस शास्त्र में लिखा है कि #केंमुटु से सैंई वनाना चाहिए ?

प्रश्न:- पंडित जी ! हमारे पास भी शास्त्र हैं जिसमें लिखे अनुसार आपसे बहस करने का यत्न किया अन्यथा हम अज्ञानी हैं । हाँ ,आप लोकाचार की ही बात कर रहे हैं ।

उत्तर:- इसे बहस न कह कर जिज्ञासा पूर्ण चर्चा कहिए क्योंकि सब भ्रम में है सब यह जानना चाहते है| मै इसीलिए भ्रम दूर कर रहा हूं| आपके पास जो शास्त्र है ज़रा उसी से दिखा दो कि सैंई वनाने कि विधि क्या है ? 😊

भ्रम:- आप जैसा चाहो मना लें!

निवारण:- जैसा चाहो नहीं ! हम तो शास्त्राचार + लोकाचार के अनुसार ही मनाऐंगें | कपोल कल्पित मत व भेडचाल में वह चलतें है जिन्हें शास्त्र का श भी पता नहीं है और न ही लोकाचार का ज्ञान है |

प्रश्न:- पर एक बात अवश्य कहना चाहूंगा । समाज की कुरीतियों को आप जैसे विद्वान दूर कर सकते हैं ताकि हमारे शास्त्रों का भी मान रहें 🙏

उत्तर:- कुरीतियों को ही दूर करना नहीं प्रत्युत् सनातनी परम्पराओं , लोकाचार, देशाचार आदि का संरक्षण करना भी हमारा दायित्व है |

👉 यह बालक मेरे निम्न प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पाया आप अवश्य दें -

प्रश्न 1 :- सैंई लगाना शास्त्राचार है या लोकाचार ?
प्रश्न 2 :- खारका शास्त्राचार है ? विधि क्या है ?
प्रश्न 3 :- किस शास्त्र में लिखा है कि केंमटु से महादेव वनाना चाहिए ?
प्रश्न 4 :- क्या शास्त्र सम्मत लोकाचार प्रमाण नहीं है ?

मुझे लगता इस चर्चा से सभी को लाभ हुआ होगा और सब संशय दूर हुए होंगें |

यदि फिर भी किसी के मन में शिवरात्रि को लेकर जिज्ञासा हो वह नि:संकोच पूछ सकता है | यथामति यथाशास्त्र समाधान किया जाऐगा |

हर हर महादेव|
जय श्री राम|

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