#शंका - विवाह में परिक्रमा तीन, चार, या सात करनी चाहिए ?
#समाधान - विवाह में चार परिक्रमा ही शास्त्र सम्मत है | पारस्कर गृह्यसूत्र १/७ क० के अनुसार तीन और इसपर हरिहरभाष्य के अनुसार - #ततः #समाचारात्तूष्णीं_चतुर्थं_परिक्रमणं_वधूवरौ_कुरुतः |
इस प्रकार चौथी परिक्रमा में सदाचार ही प्रमाण हैं |
#पूर्वपक्ष : - श्रीमद्वालमीकीय रामायण बालकाण्ड 73/39 में तीन परिक्रमा का उल्लेख है | यथा :-
#ईदृशे_वर्तमाने_तु_तूर्योद्घुष्टनिनादिते | #त्रिरग्निं_ते_परिक्रम्य_ऊहुर्भार्या_महौजस: || इति
क्योंकि शास्त्रीय नियम है कि स्मृतिविरुद्ध सदाचार अमान्य होता है | चौथा परिक्रमण सदाचार उक्त वाल्मीकि रामायण की स्मृति के विरुद्ध होने से अप्रमाणिक है | अत: तीन ही परिक्रमण शास्त्र सम्मत है |
#उत्तरपक्ष : - त्रिरग्निं.....आदि वाल्मीकि रामायण की स्मृति विधिवाक्य नहीं है | रामादि ने जो परिक्रमा की वो तत्सदाचारानुकूल है, बस इतना ही वहॉ समझना चाहिये |
मात्र ये कहना कि पारस्कर ने विधान नहीं किया - इससे निषेध सिद्ध नही हुआ | अपि च विवाह में ग्राम्य वचन भी प्रमाण होने से #चार_परिक्रमा ही शास्त्र सम्मत है | अत: गदाधरादि प्राचीन मनीषि भाष्यकार पूर्णतः ठीक हैं ।
#विशेष :- हमें यह भी ध्यान रखना चाहिये कि जब चार फेरे आचारबल से सिद्ध होते हैं तो सात फेरे क्यों नहीं , ये बात और है कि आचारधर्म में लोप आने से केवल नकलमात्र ही आजकल अधिक व्याप्त है । अपने अपने कुलादि के अनुसार आचार की भारत में समृद्ध परम्परा रही है ।
जय श्री राम
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