Monday, 15 January 2018

श्री भगवान्  बुद्ध और श्री भगवान् आद्य शंकराचार्य


बौद्ध का अभिप्राय है " बुद्धमत का अनुयायी " ।

श्री आद्य शंकराचार्य प्रच्छन्न बौद्ध  ( परवर्ती प्रचलित बुद्धमत  के अनुयायी ) न थे वरन्  बुद्ध ही प्रच्छन्न अद्वैती ( प्राचीन  सनातन अद्वैतमत  के अनुयायी)  थे ।
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अतः श्री  भगवान् बुद्ध का अनुयायी तो पूरा सनातन धर्म है । श्री भगवान् बुद्ध ने कभी कोई पाखण्ड नहीं फैलाया ।

(अतः यहॉ ध्यातव्य है कि श्रीपद्मपुराणोक्त प्रच्छन्नबौद्धमत व सनातनधर्म के यथार्थबौद्धमत में पर्याप्त अन्तर है ।  )

जैसे    #छद्म_बौद्धों द्वारा  भगवान् श्री   बुद्ध को  बदनाम करने का  असफल प्रयत्न किया गया , ऐसे ही  #छद्म_वेदान्तियों  द्वारा   भगवान्  श्री आद्य शंकराचार्य  को ।

श्री आद्य शंकराचार्य  ने ऐसे ही  छद्म बौद्धों  के कुमत का खण्डन कर  उस यथार्थ  बुद्ध मत को स्थापित किया  , जो स्वयं   सृष्टि के आदि में  आदि बुद्धस्वरूप श्री  भगवान् नारायण से चला था ।  [नारायणः पद्मभवं वशिष्ठं..]

श्रीमद्भागवतम्  में भगवान् बुद्ध को पाखण्ड सेे रक्षा करने वाला बताया गया  है  ।

#बुद्धस्तु_पाखण्डगणात्_प्रमादात् [श्रीमद्भागवतम् ६।८।१९]

  जैसे श्री भगवान् बुद्ध पाखण्डियों से सनातनियों की रक्षा करते हैं , वैसे ही श्री भगवान् आद्य शंकराचार्य  भी  पाखण्डियों से  (छद्म बौद्धों से शास्त्रार्थादि द्वारा )  सनातनियों की रक्षा करते हैं ।

भगवान् बुद्ध  और भगवान् शंकर  दोनों सनातन धर्म के संरक्षक हैं ।  #हरि_हर_एक्य इसीलिये तो  कहा गया  है ।

जो हरि हैं , वही हर हैं , जो हर हैं , वही हरि ।।
।। जय हरिहर ।।

।। जय श्री राम  ।।

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