प्रश्न : - वेद प्राचीन है अथवा मनुस्मृति?
यदि मनुस्मृति बाद की रचना है तब वेद कैसे मनुस्मृति को प्रमाणित करता है?
#उत्तर : - मनुस्मृति में ही दिया है समाधान यथा - #भूतं_भव्यं_भविष्यञ्च_सर्वं_वेदात्_प्रसिद्ध्यति ।
वेद में मनुस्मृति कैसे ? इसका समाधान उक्त वचन से स्पष्ट है । तथा कहा भी है आचार्यों ने कि - चोदना हि भूतं, भवन्तं, भविष्यन्तं, सूक्ष्मं, व्यवहितं, विप्रकृष्टमित्येवञ्जातीयकमर्थं शक्नोत्यवगमयितुं, नान्यत् किञ्चनेन्द्रियम् ।
श्रुति स्मृतियों में पहले बाद की शंका को अवसर ही नहीं होता |
क्योंकि स्वयं श्रुति का कथन है - #एवमिमे_सर्वे_वेदाः #निर्मिताः #सकल्पाः #सरहस्याः #सब्राह्मणाः #सोपनिषत्काः #सेतिहासाः #सान्वयाख्याताः #सपुराणाः #सस्वराः ।
#नित्ये_शब्दार्थसम्बन्धे । इस वचन से महाभाष्यकार ने भी शब्दार्थसम्बन्ध की नित्यता अभिहित की है।
तथापि उत्पत्ति क्रम में प्रथम स्मृति ही अवतरित होती है , तब वेद प्रकट होते हैं ।
लोक में भी अर्थ का ही प्रथम स्मरण तदनन्तर तदभिव्यञ्जक शब्द का हृदय में प्राकट्य देखा जाता है |
जैसे सर्वप्रथम सूर्य भगवान् का प्रकाश उदित होता है तदनन्तर भगवान् सूर्य उदित होते हैं , उसीप्रकार स्मृति एवं वेदों के सन्दर्भ में भी समझना चाहिये ।
जैसाकि श्रीमत्स्यपुराण में भी कहा गया है -
#पुराणं_सर्वशास्त्राणां_प्रथमं_ब्रह्मणा_स्मृतम् ।
#अनन्तरं_च_वक्त्रेभ्यो_वेदास्तस्य_विनिर्गताः ।।
साभार प्रज्ञान शर्मा जी
जय श्री राम
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