सरल रूप में महान् सन्देश -
#एकमेवाद्वितीयम् - यह श्रुति कहती है कि आत्मा एक ही है , अद्वितीय है । इस प्रकार आत्मा का #एक ही होना और #अद्वितीय होना वेदसिद्ध है ।
#शान्तं_शिवमद्वैतम् - यह श्रुति कहती है कि आत्मा शान्त है , शिव है , #अद्वैत है ।
#सत्यं_ज्ञानमनन्तम्- यह श्रुति आत्मा को सत्य , ज्ञान और #अनन्त लक्षण बताती है ।
#सर्वं_खल्विदं_ब्रह्म - यह श्रुति कहती है कि यह सब आत्मा ही है ।
#अहं_ब्रह्मास्मि, #तत्त्वमसि, #अयमात्मा_ब्रह्म - इत्यादि श्रुतियॉ जीव को भी ब्रह्म ही बताती हैं ।
#सूक्ष्मातिसूक्ष्मम् - यह श्रुति आत्मा को अत्यन्त सूक्ष्म बताती है ।
जब आत्मा एक ही है , वह सत्य है , ज्ञानस्वरूप है, अनन्त है यह सब है , शान्त है, शिव है , अद्वैत है और अत्यन्त सूक्ष्म है , तो फिर #भेद का अवकाश ही कहॉ रहा ?
इस प्रकार एक अत्यन्त सरल, साधारणमति ब्राह्मण को भी #केवलाद्वैत सिद्धान्त रूप अखिलवेदार्थ को हृदयङ्गम कर #श्री_आद्य_शंकराचार्य के आदेश, उपदेश अथवा सन्देशों को श्रद्धावनत होकर श्रवण , मनन, निदिध्यासन करना चाहिये ।
।। जय श्री राम ।।
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