Friday, 24 November 2017

केवलाद्वैत

सरल रूप में महान् सन्देश -

#एकमेवाद्वितीयम् - यह श्रुति कहती है कि आत्मा एक ही है , अद्वितीय है ।  इस प्रकार आत्मा का #एक ही होना और #अद्वितीय होना वेदसिद्ध है ।

#शान्तं_शिवमद्वैतम् - यह श्रुति कहती है कि आत्मा शान्त है , शिव है , #अद्वैत है ।

#सत्यं_ज्ञानमनन्तम्- यह श्रुति आत्मा को सत्य , ज्ञान और #अनन्त लक्षण बताती है ।

#सर्वं_खल्विदं_ब्रह्म - यह श्रुति कहती है कि यह सब आत्मा ही है ।

#अहं_ब्रह्मास्मि, #तत्त्वमसि, #अयमात्मा_ब्रह्म   - इत्यादि  श्रुतियॉ जीव को भी ब्रह्म ही बताती हैं ।

#सूक्ष्मातिसूक्ष्मम् - यह श्रुति आत्मा को अत्यन्त सूक्ष्म बताती है ।

जब आत्मा एक ही है , वह सत्य है , ज्ञानस्वरूप है, अनन्त है   यह सब है ,  शान्त है, शिव है , अद्वैत है  और अत्यन्त सूक्ष्म है , तो  फिर  #भेद का अवकाश ही कहॉ रहा ?

इस प्रकार  एक  अत्यन्त सरल,  साधारणमति  ब्राह्मण को भी   #केवलाद्वैत सिद्धान्त रूप अखिलवेदार्थ को हृदयङ्गम कर   #श्री_आद्य_शंकराचार्य  के आदेश, उपदेश अथवा सन्देशों को श्रद्धावनत  होकर श्रवण , मनन, निदिध्यासन  करना चाहिये ।

।। जय श्री राम  ।।

No comments:

Post a Comment

पूजा आदि में सिर नहीं ढंका चाहिए

शास्त्र प्रमाण:- उष्णीषो कञ्चुकी चात्र मुक्तकेशी गलावृतः ।  प्रलपन् कम्पनश्चैव तत्कृतो निष्फलो जपः ॥ अर्थात् - पगड़ी पहनकर, कुर्ता पहनकर, नग...