#भेदवादियों_के_अज्ञान_की_चिकित्सा -
#आक्षेप - जीव का बन्धन प्रत्यक्ष सिद्ध है , इसलिये जीव को नित्यमुक्त ब्रह्म नहीं माना जा सकता ।
#समाधान -प्रत्यक्ष होने के कारण ही बन्धन की सत्यता नहीं बतलाई जा सकती , प्रत्यक्षता तो सत्य और असत्य दोनों ही प्रकार की वस्तुओं में समान रूप से देखी जाती है । ☝️
शास्त्रविधि और कारणदृष्टि के बल पर जीव के बन्धन की सत्यता का बाध हो जाता है । इस तथ्य के सन्दर्भ में अनगिनत श्रुतियॉ प्रमाण हैं ।
।। जय श्री राम ।।
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