जो लोग किसी स्त्री के सौन्दर्य आदि के मोह में पडकर अपनी जाति परम्परा में विवाह नहीं करते , मनमर्जी से किसी को भी मनपसन्द करके शादी करके लाते हैं , उनकी करनी का फल -
पितृलोक के उनके पितरों का हो जाता है अधःपतन !
उसकी होने वाली सन्तानें जातिभ्रष्ट, वर्णसंकर हो जाती हैं !
उसका वंश एक न एक दिन समाप्त हो जाता है !
उसकी सन्तानें अपनी वैदिक परम्परा के उन अधिकारों से वंचित हो जाती हैं , जो सृष्टि के आदि में स्वयं ब्रह्मा जी ने उसके वंश को प्रदान किये थे , जिससे उन सन्तानों की भी अधोगति होती है!
उसके सारे कुल का नरक जाना निश्चित हो जाता है !
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तुम्हारी मर्यादानाशिनी मनमर्जी से #धर्म का कुछ नहीं बिगडेगा , (धर्मस्य प्रभुरच्युतः) तुम्हारा ही सब बिगडेगा ! यही है सृष्टि की अटल नियम !
इसलिये इस भारी भूल से बचो और बचाओ! ईश्वर के बताये शास्त्रों / विधि - विधानों को मान दो !
धर्म का तत्त्व बहुत सूक्ष्म होता है , दम्भ, अभिमान और निजी कपोल कल्पना से सनातन वैदिक धर्म की मनगढन्त व्याख्या करके अपनी दुर्बुद्धि को चरितार्थ मत करो !
।। जय श्री राम ।।
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