Wednesday, 8 November 2017

खुडीजह्ळ को कृष्ण कहने वालों की धज्जियां

#पूर्वपक्ष : - जो देव खुडीजह्ळ नाम से 18 गढ में प्रसिद्ध है | वह स्वयं श्री कृष्ण ही है कोई अन्य नहीं | देव की गणाई से यह बात प्रमाणित हो जाती है | गणाई में स्पष्ट कहा है कि पांच पाण्डवों ने (अज्ञातवास काल में ) इसकी स्थापना की है | चूंकि पाण्डव कृष्ण को मानते थे इसलिए खुडीजह्ळ को भगवान् कृष्ण कहना अनुचित नहीं है |

#उत्तरपक्ष - आपका यह सब  कथन नितान्त अज्ञान पूर्ण है | प्रथम तो यह जान लो! कि पांच पाण्डवों द्वारा देव की स्थापना की गई है न कि जह्ळ की | अपि च उन्होंने भगवती, शिव, योगनियों व वीरों आदि अनेक देवी देवताओं की भी स्थापना की है अत: केबल प्रभु श्री कृष्ण जी को ही मानते थे यह मत भी आपका कपोल कल्पित है |

दूसरी बात यह है कि अज्ञातवास में पाण्डव अपनी विपरीत बुद्धि के कारण भगवान् श्री कृष्ण जी की महिमा को नहीं जानते थे वे प्रभु को सखा, अपमान पूर्वक हठ से हे कृष्ण! हे यादव! हे सखे! इत्यादि वचन कहते थे | यथा -

#सखेति_मत्वा_प्रसभं_यदुक्तं_हे_कृष्ण_हे_यादव_हे_सखेति |

#अजानता_महिमानं_तवेदं_मया_प्रमादात्प्रणयेन_वापि ||* गी. 11/41

पाण्डव श्री कृष्ण जी को समान अवस्था वाला समझकर मित्र की तरह व्यवहार करते थे| अपने समकक्ष व समकाल मित्र की जोकि मूर्तिमान् उनके साथ थे उसका देवरुप में पाषाणादि में स्थापना का कथन आपकी कोरी अज्ञानता ही है |

जय श्री राम

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