/////गुरु देव एक प्रश्न है जैसे ब्राह्मण और राजपूत लड़के विदेश में पक्के होने के लिए पहले गोरी लड़की से कोर्ट में शादी जा विदेशी पंथ के अनुकूल शादी करते है और भारत मे आकर फिर से विधि पूर्वक विवाह करते है अपने कुल, जाती में विवाह करते है उसमें कितना धर्म शास्त्र के अनुकूल दोष है, जा फिर वो मान्य है क्योंकि विवाह तो अग्नि के समक्ष ओर मंत्रो द्वारा होगी और विदेश में सिर्फ कोर्ट में। तो आप से मार्गदर्शन चाहिए। कृपया अपना दृष्टिकोण बताकर हमारा शंशय दूर करें गुरु देव।////
उत्तर - समुद्रोल्लंघन करके विदेश जाते ही ब्राह्मण का घोर पतन ।
ये तो हुआ जाने का ही घोर निषेध ।
अब सुनो विदेशी लड़की से विवाह पर -
शूद्रा से ही विवाह करने पर ब्राह्मण पतित हो जाता है , फिर कैमुतिक न्याय से एक विदेशी लडकी अर्थात् जातिभ्रष्ट म्लेच्छा का तो कहना ही क्या । म्लेच्छा से विवाह करने पर तो ब्राह्मण का महाघोर पतन ।
दूसरी बात -
जिससे विवाह किया , उसका मोक्षमार्ग प्रशस्त न करने पर पतन । सन्मार्गगामी पति का अनुवर्तन ना करे , तो पत्नी का पतन । ऐसे में जो विदेश से विवाह (जो कि वस्तुतः विवाह नहीं वरन् एक व्यभिचार है ) करके उसे त्यागा तो उस पर भी नरकामी ।
#उभयपाशारज्जु ( अर्थात् दोनों ओर से गले में फन्दा )
ऐसे महापतित ब्राह्मण को जो सविधि अपनी कन्यादि दान करेगा , वो दाता भी महानरकगामी हो !
।। जय श्री राम ।।
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