Wednesday, 8 November 2017

कुरान और शास्त्र में अन्तर -


कुरान कहती है तुम्हारी बीवियॉ तुम्हारी खेती हैं , जब जैसे चाहो अपने खेत में जाओ, जो चाहे अपने खेत के साथ  करो, वो तुम्हारा हक है  !

शास्त्र कहते हैं तुम्हारी पत्नी अवश्य   तुम्हारी  भूमि  है , उसमें सही समय पर सही उद्देश्य से जाओ ,  सदैव अपनी भूमि का संरक्षण करो ,  भूमि को कभी दुरुपयोग मत करना  , अन्यथा  वह तुम्हारी ही हानि होगी ।

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मनमर्जी करना  - ये  पशुता है , मनोरोग  है ।  शास्त्र   मानव की प्रवृत्ति निवृत्ति का नियामक है,  एक अनुशासन है , एक समुचित व्यवस्था है । 

शास्त्र का ही विकृतिकरण कुरान  है ।
धर्म का ही विकृतिकरण होता है  विधर्म   ।

आस्था के नाम पर मानवीय वासना से निर्गत  ग्रन्थ  अज्ञानियों को  धर्म जैसा ही लगता है,  पर वह धर्म के नाम पर केवल एक छल होता है । 

वासना तो पामर पशुओं का स्वभाव है ,  परमेश्वर में वासना की गन्ध भी नहीं है । ईश्वरीय उपदेश में  वासना की  प्रधानता नहीं होती वरन्  शुद्ध उपासना (तप) की प्रधानता होती है । वासनामय ग्रन्थ एक वासनापूरित व्यक्ति   की ही कल्पित रचनामात्र होती  है ।

।। जय श्री राम  ।।

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