#भ्रान्ति - चारों वैष्णवाचार्य श्री आद्य शंकराचार्य के अद्वैत सिद्धान्त का एक साथ मिलकर खण्डन करते हैं , अतः विरोधियोंं के संख्याबल के प्राचुर्य से ये सिद्ध है कि श्री आद्य शंकराचार्य का सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ नहीं है ।
#उन्मूलन - जो चारों वैष्णवाचार्य श्री आद्य शंकराचार्य के सिद्धान्त का खण्डन करने में प्रवृत्त होते हैं , वे चारों पहले ही परस्पर एक - दूसरे के सिद्धान्त से स्वयं खण्डित हो जाते हैं ।
जो सिद्धान्त स्वयं ही परस्पर विखण्डित हों , वे भला परस्पर मिलकर श्री आद्य शंकराचार्य का किस बल से खण्डन करेंगे ?
श्री आद्य शंकराचार्य का अद्वैत सिद्धान्त वेदों का अभेद्य सिद्धान्त है । इस पर केवल अनुचित आरोप ही होते हैं , खण्डन नहीं होता इसका । ये समस्त वेदों का सार- सिद्धान्त है ।
।। जय श्री राम ।।
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