Tuesday, 7 November 2017

सदाचरणे निरता की व्याख्या

ब्राह्मण--सत् आचरणे निरताः
सदा सत् आचरण में रत रहे।
क्षत्रिय=सदा सत् आचरण सह रणे निरताः।
वैश्य--सदा च चरणे विचरणे निरताः।
सदा सेवा और व्यवसाय के लिये विचरण करना।
शुद्र =सदा चरणे निरताः।
सदा सतमार्गियो की सेवा में रत रहे।।

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