ये संसार देव की महिमा है , इसे कथित विज्ञान (साइंस) से नहीं समझा जा सकता ! इसलिये विज्ञान ( साइंस ) का आसरा छोड़ दो !
तुम्हारी मति में भी इतनी सामर्थ्य नहीं है कि इस जगत् को समझ सको ! क्योंकि ये स्वयं उसी महिमा से बनी है, इसलिये अपनी मति का अभिमान भी त्याग दो !
वेद, वेदान्त, पुराण , उपन्यास , लेख, पत्रिका , समाचारपत्र आदि किसी भी विधा की किसी पुस्तकादि में भी स्वयं में ऐसी सामर्थ्य नहीं जो तुमको इस संसार का सत्य अनुभव करा दे !
जादू तोडने के लिये जादू ही चाहिये होता है !
जब जादूगर के रूप में सामने स्वयं परमेश्वर है , तो उसके जादू को तोड़ने की सामर्थ्य उसके अतिरिक्त और किसमें होगी ? वह स्वयं ही जिसे चाहेगा , उसे मायामुक्त करेगा !
अब इस शाश्वत सत्य सिद्धान्त का व्यावहारिक स्वरूप तुमको सुनाते हैं , यह रहस्य ध्यानपूर्वक सुनो !
वह यह अगम्य परमात्मा परम करुणामय स्वभाव वाले होने से स्वयं सद्गुरु रूप में अवतरित होकर इस धरा को धन्य करते हैं ! परन्तु अनमोल और लीलास्वभाव होने से वे सहज ही तुम्हें प्राप्त नहीं होंगे , ना ही तब त़क तुम्हें प्राप्त होंगे , जब तक तुम पर प्रसन्न न हो जायें !
इस आवागमन के चक्रव्यूह से मोक्ष के इच्छुक ब्राह्मणों !
जाओ ! शास्त्र के पारगामी , शुद्ध ब्राह्मण, परम्परावतार, ऐसे ही दिव्य सद्गुरु को खोजो, जो नर देह रूप से भासित होते हुए भी स्वयं एक परम गोपनीय अलौकिक अगम्य विभूति हो ! वही तुमको बचा सकते हैं ! तभी तुम्हारा यह विप्र शरीर धारण करना सफल है , #प्रैति_स_ब्राह्मणः इस श्रुति ने यही रहस्य कहा है !
#संन्यास 🌼
।। जय श्री राम ।।
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