श्रोत्रिय ----
जन्मना ब्राह्मणो ज्ञेयः, संस्कारैर्द्विज उच्यते ।
विद्यया याति विप्रत्वम् ,
श्रोत्रियस्त्रिभिरेव च ।। अत्रि संहिता 140
ब्राह्मण पिता के द्वारा ब्राह्मणी माता के गर्भ से उत्पन्न बालक जन्मना ब्राह्मण होता है ।उपनयन आदि संस्कारों से सुसंस्कृत ब्राह्मण में द्विजत्व की पात्रता आती है, अर्थात् वह द्विज कहा जाता है । तत्पश्चात् वह संस्कार सम्पन्न द्विज जब साङ्गोपाङ्ग वेद का अध्ययन अध्यापन करता है और वेद शास्त्र के मनन चिन्तन से जब वह वैदिक सिद्धान्त के रहस्य को भली प्रकार जान जाता है तब उसे विप्र कहते हैं । और इन सब योग्यताओं से सम्पन्न आदर्श आप्त पुरुष श्रोत्रिय होता है ।
Tuesday, 14 November 2017
ब्राह्मण जन्म से होता है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
ज्ञ वर्ण का उच्चारण
'ज्ञ' वर्ण के उच्चारण पर शास्त्रीय दृष्टि- संस्कृत भाषा मेँ उच्चारण की शुद्धता का अत्यधिक महत्त्व है। शिक्षा व व्याकरण के ग्रंथोँ म...
-
जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद् द्विज उच्यते। वेदपाठाद् भवेद् विप्रः ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः।। इसके आधार पर यदि आप इसका ये अर्थ करतें हैं क...
-
#पूर्णपात्र_रहस्य यज्ञ में ब्रह्माजी का पद सबसे वरिष्ठ होता है ।यह सृष्टि भी यज्ञस्वरूप ही है। #यज्ञेन_यज्ञमयजन्तदेवा:...... यह सृष्टि ...
-
रामपाल तो सामने आने से रहा , तथापि रामपाल के कथित चेलों के माध्यमेन इसे सामने ( लाइन हाजिर ) लाकर इसकी पोल खोली जा रही है , य...
No comments:
Post a Comment