रविश कुमार जन्म से ब्राह्मण है ...क्या इनको सन्यास का अधिकार है ?
#उत्तर - क्या बात कर दी आपने , आप पहले ये पता कीजिये कि रवीश कुमार शुद्ध ब्राह्मण है या अनुलोम संकर ब्राह्मण या तदन्य । क्योंकि ब्राह्मण का उपनाम ( पाण्डे , शर्मा आदि) होने से कोई शुद्ध ब्राह्मण नहीं होता । यह तो अनुलोम संकर ब्राह्मण का भी एक जैसा ही होता है । अनुलोम में भी कुलीन है या पतित - ये भी देखा जाता है ! क्योंकि कुलीन अनुलोम संकर ब्राह्मण भी बहुत उत्कृष्ट संस्कारसम्पन्न होते हैं ।
यदि ये शुद्ध ब्राह्मण होता तो कभी इसके मुख से अधर्म वाक्य निकलता ही नहीं , इतने से ही स्पष्ट है कि ये क्या है ! व्यक्ति का गुण , कर्म और स्वभाव उसकी जाति का परिचय स्वतः करा देता है !
ये तो हुई जाति की बात ।
अब आइये संन्यास के अधिकार विषय पर ,
संन्यास आश्रम में प्रविष्ट वही शुद्ध ब्राह्मण हो सकता है , जिसने सम्पूर्ण वेद वेदाङ्ग का अध्ययन कर के उनको ठीक से समझ लिया हो और नित्य , नैमित्तिक, प्रायश्चित्त और उपासनात्मक वैदिक अनुष्ठानों के विधिवत् परिपालन से जिसका चित्त शुद्ध और एकाग्र हो चुका हो !
इतना ही नहीं वरन् साधन चतुष्टय सम्पन्नता भी उसमें होनी चाहिये ।
साधन चतुष्टय कहते हैं, नित्यानित्यवस्तुविवेक , इहामुत्रफलभोगविराग, शमदमादिषट्सम्पत्ति और मुमुक्षुत्व सम्पन्न होना ।
अभी संन्यास के नियम बताना आरम्भ करेंगे तो आपको देश के अनेक कथित प्रसिद्ध संन्यासियों से ही घृणा होने लग जायेगी । इसलिये मुख ना ही खुलवाऐं हमारा तो ही ठीक है ।
कदाचित् कभी सामने से रवीश कुमार का मुख देखने पर तो आपको सन्ध्या के समय पवमान सूक्त का पाठ करना चाहिये , इतना पतित अशुभ है यह व्यक्तित्व !
।। जय श्री राम ।।
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