Wednesday, 11 October 2017

कौन किस विन शोभा नहीं देता

*राजा धर्ममृते द्विज: पवमृते विद्यामृते योगिन:,*
*कान्ता सत्वमृते हयो गतिमृते भूषा च शोभामृते।*
*योद्धा शूरमृते तपो वृतमते गीतं च पद्यान्यृते,*
*भ्राता स्नेहमृते नरो हरिमृते लोके न भाति क्वचित्।।*

*👉🏽अर्थात-* धर्म के बिना राजा, पवित्रता के बिना ब्राह्मण,   ब्रह्मविद्या के बिना योगी, सतीत्व के बिना स्त्री, चाल के बिना घोडा, सुन्दरता के बिना गहना, बिना वीरता  एवं पराक्रम के योद्धा, बिना व्रत के तप, गायन के बिना पद्य, स्नेह के बिना भाई और भगवत्प्रेम के बिना मनुष्य संसार मे कही भी सुशोभित नही होता है|

जय श्री राम

No comments:

Post a Comment

पूजा आदि में सिर नहीं ढंका चाहिए

शास्त्र प्रमाण:- उष्णीषो कञ्चुकी चात्र मुक्तकेशी गलावृतः ।  प्रलपन् कम्पनश्चैव तत्कृतो निष्फलो जपः ॥ अर्थात् - पगड़ी पहनकर, कुर्ता पहनकर, नग...