Saturday, 2 September 2017

विशुद्धता का वरण करें !

जैसे #दूध दुकान में थैलियों में मिल रहा है |

ठीक ऐसे ही #ज्ञान भी तथाकथित झोलाछाप स्वघोषित गुरूयों से मिल रहा है | या स्वयं जहां तहां से पुस्तक लेकर कुछ यत्न करता है | 😊

जो दुकानदार से दूध व ज्ञान मिलेगा वह मिलावटी ही मिलेगा | 👍

क्षीर में नीर नीर में क्षीर है या नहीं ? इसका निर्णय तो नीर क्षीर विवेकी ही कर सकता है | 👍

भला कहां विशुद्ध विप्र तो कहां झोला छाप |

शुद्ध दूध तो घर में पालित गौ माता से ही मिलना है| 👍

और ज्ञान भी तो विप्र से ही मिलना है |
#सर्वेषामेव_वर्णानां_ब्राह्मणो_परमो_गुरू: |

पूज्य को अपूज्य व अपूज्य को पूज्य न करो !

तुम्हें क्या चाहिए मिलावटी या शुद्ध ? इसका निर्णय तुम पर छोडता हूं |

साभार :- यज्ञ दत्तः जी ।।

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