Saturday, 2 September 2017

समुद्र पार मलेच्छ देशों में जाना अधर्म


हमारे वेदों - शास्त्रों  में वर्णित  डिण्डिम घोष के साथ समुद्रपारम्लेच्छदेश गमन का निषेध  किया गया है  । किसी भी शुद्ध कुलीन ब्राह्मण को कभी भी म्लेच्छ देशों की समुद्रपार यात्रा कर  सनातन वैदिक धर्म की धज्जियॉ नहीं उड़ानी चाहिये , इसे पापकर्म बताया गया है  किन्तु  एक से बढ कर एक ये आधुनिक  कथित धर्माचार्य   समुद्रोल्लङ्घन कर  म्लेच्छ देशों में डिण्डिम कर  आये , और अब भी  सनातनधर्मनाश का ये  क्रम अनवरत  चल रहा है ।

क्या  ऐसे लोग #आचार्य कहाने लायक हैं ?

देखें प्रमाण --->

(क) वेदे म्लेच्छदेशगमननिषेधाे यथा-

न जनमियान् नान्तमियात् ।(माध्यन्दिनीयवाजसनेयिशुक्लयजुर्वेदशतपथब्राह्मणे १४।४।१।११,
काण्ववाजसनेयिशुक्लयजुर्वेदशतपथब्राह्मणे १६।३।३।१०, काण्वबृहदारण्यकाेपनिषदि १।३।१०)। 

(ख) स्मृताै म्लेच्छदेशगमननिषेधाे यथा -

न गच्छेन् म्लेच्छविषयम् (विष्णुधर्मसूत्रे ८४।२),

म्लेच्छदेशे न च व्रजेत् (शङ्खस्मृताै १४।३०), 

(ग) पुराणे म्लेच्छदेशगमननिषेधाे यथा -

सिन्धाेरुत्तरपर्यन्तं  तथाेदीच्यतरं नरः।
पापदेशाश् च ये केचित् पापैरध्युषिता  जनैः ।।

शिष्टैस् तु वर्जिता ये वै ब्राह्मणैर् वेदपारगैः।
गच्छतां रागसम्माेहात् तेषां पापं न नश्यति ।।

(ब्रह्माण्डपुराणे ३।१४।८१,८२, वायुपुराणे २।१६।७०,७१)

तस्मात् शुद्धकुलीन-आस्तिकैर्वेदवादिभिर्ब्राह्मणैः समुद्रपारम्लेच्छदेशगमनं नैव कार्यम् ।

।। जय श्री राम ।।

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