देव श्री #खुडीजह्ळ देवालय का #पुरोहित निर्णय :-
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यह देखने व सुनने में आता है कि अनेक लोग इसके देवालयों के पुरोहित होने का दावा करतें हैं |
मुख्य रुप से #कमान्दु_ब्राह्मण व #ध्रूक_ब्राह्मण अपना अपना पौरोहित्य होना कहतें हैं |
कमान्दु_ब्राह्मण यह मानते हैं कि इस देव के मूलस्थान #खुडीगाड के पुरोहित वही है | पर यह मानना उचित नहीं है | वस्तुत: यहां का पौरोहित्य भी ध्रुक_ब्राह्मण का ही है | क्योंकि आज भी इस देव की #बुढीदिवाली पर्व आचरण पर ध्रूक मूल का ब्राह्मण ही यज्ञार्थ जाता है |
वहां पूजा करने मात्र का दायित्व कमान्दु ब्राह्मण का है | हां ध्रूक ब्राह्मण के आचार्यत्व में कमान्दु ब्राह्मण यज्ञादि में भाग ले सकता है |
ध्यातव्य है कि इस देव का अर्चक (पुजारी) व पुरोहित पृथक् -पृथक् कुल के होतें हैं | अर्चक को पौरोहित्य का नहीं पर पूजा करने मात्र का अधिकार है | जबकि पुरोहित अर्चक कुल के सूतकादि में पूजा कर सकता है |
अत: इस देव के देवालय का पुरोहित मुख्य रुप से ध्रूक ब्राह्मण ही होता है | ध्रूकों में भी मुख्यरुप से अधोलिखित योग्यता होनी चाहिए :-
👉 जिसका शास्त्र विहित काल में जनेऊ हुआ हो |
👉 देव परम्परा को जानता हो |
👉 अभक्ष्य भक्षण न करता हो |
👉 इसके मुख्य पर्वों में व्रताचरण करता हो |
👉 कुल परम्परा से पिता पितामह आदियों ने यहां पौरोहित्य कर्म किया हो |
👉 शुक्लतन्त्रविद्या को जानता हो | कृष्णी को हेय मानता हो |
👉 इस देव की हर रेखा का पालन व अनुवर्तन करता हो |
...............आदि आदि |
अब तुम अपनी योग्यता स्वयं देख लो ! निर्णय भी स्वयं लो ! तुम इस योग्य हो या नहीं ? कि इसके देवालय में पौरोहित्य कर सकते हो वा नहीं |
बडे बडे फट्टों पर अपना नाम लिखने या लिखवाने से, तरह तरह के दांव पेंच खेलने से, या षड्यन्त्र से, व्यर्थ आरोप से, इधर उधर प्रचारादि जैसे निकृष्ट कार्य से कोई इसका पुरोहित नहीं वन जाता | इसके लिए उपरोक्त योग्यता प्राप्त करनी पडती है| और इसके लिए देव कृपा व पुण्य का बल भी नितान्त अपेक्षित है | अन्यथा यह तुम्हारा स्वप्न स्वप्न में ही पूर्ण होगा |
हर हर महादेव
जय श्री राम
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