Friday, 1 September 2017

ज्यौति:शास्त्र अधिकारी निरूपण

श्री भास्कराय नम:

ज्योति:शास्त्र के अध्ययन अध्यापन का अधिकारी निरूपण, स्त्रीशूद्र को अध्ययन निषेध :--
______________________________________
इस शास्त्र का अधिकारी जिज्ञासु द्विज ही है अन्य कोई नहीं। 👍

#एतज्जिज्ञासुरधिकारी_स_च_द्विज_एव_नान्य:।

तदुक्तं नारदेनैव :--

#सिद्धान्त_संहिताहोरारूपस्कन्धत्रयात्मकम्।
#वेदस्य_निर्मलं_चक्षुर्ज्योति:#शास्त्रमकल्मषम्।
#विनैतदखिलं_श्रौतं_स्मार्तं_कर्म_न_सिध्यति।
#तस्माज्जगद्धितायेदं_ब्रह्मणा_निर्मितं_पुरा।।
#अत_एव_द्विजैरेतदध्येतव्यं_प्रयत्नत:।। इति।

अत्रैवकारस्य पाठक्रमेण योजने प्रयोजनं विनैव ज्योति:शास्त्राध्ययनस्यावश्यकत्वं प्रतीयते। द्विजैरेवेति व्याख्याने द्विजव्यतिरिक्तै: शूद्रैर्नाध्येयमिति च प्रतीयते। व्याख्याद्वयमपि युक्तमेव।

अत एव महाभारते :--
#यजनं_याजनं_चैव_तथा_दानप्रतिग्रहौ।#अध्यापनं_चाध्ययनं_षट्कर्मा_ब्राह्मण:#स्मृत:।।
अध्यापन अधिकारी = ब्राह्मण ही है।

#क्षत्रियविशोस्त्वध्ययने_एवाधिकारो_नाध्यापने।

क्षत्रिय वैश्य को अध्ययन मात्र का अधिकार है।

यह स्पष्ट है कि स्त्रीशूद्रों को अध्ययन का निषेध है, अध्ययन निषेध से अध्यापन का स्वत: निषेध हो गया। अत: अध्ययन व अध्यापन दोनों का ही निषेध है। 👍

जय श्री राम।

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