दूसरों की ही फूङ्क पर #शङ्ख और #ढपोरशङ्ख दोनों बज उठते हैं, यही एकमात्र उन दोनों की समानता है।
अब जैसी फूङ्क और शङ्ख की योग्यता होगी उसकी #ध्वनि भी तदनुरुप ही होगी।
................... उपरोक्त समानता को छोड सर्वात्मना उन दोनों में पर्याप्त भेद है।
#ढपोरशंख चूंकि #स्वप्रज्ञा से दरिद्र होता है, नाना शास्त्र भी उसकी इस दरिद्रता का सर्वथा सामर्थ्य होने पर भी नाश नहीं कर पाते। अत: दूसरे के फूङ्क से ध्वनित होने बाला शील ही इसमें प्रबल रहता है। यदि स्वयं भगवान् चतुर्मुख ब्रह्मा भी उसे उपदिष्ट करें! तो भी #श्वान्_की_पुच्छ वाली कहावत चरितार्थ होगी।
................ अत: विवेकीजन व्यर्थ उस ओर चेष्टा वा चिन्ता नहीं करते।☺
पर #शंख की महिमा तो अपार है ।
यह अशुभ को शमन करता है। और शुभ की वृद्धि ।
#शाम्यति_अशुभमस्मादिति।
भगवान् शिव द्वारा भस्मसात् शङ्खचूड़ की अस्थियों से ही शङ्खजाति हुई है।
शङ्ख में भगवान् श्री हरि का अधिष्ठान है अत: #जहां_शङ्ख_वहाँ_हरि नित्य रहते है।
#शङ्खे_हरेरधिष्ठानं_यत:#शङ्खस्ततो_हरि:।
और जहां तो शङ्ख की ध्वनि हो वहां भगवती लक्ष्मी स्थिर होकर निवास करती है।
#शङ्खशब्दो_भवेद्यत्र_तत्र_लक्ष्मीश्च_सुस्थिरा।
इसकी ध्वनि से काल भी त्वरित भाग जाता है।👍
शैशवकाल से ही हम अपने पूज्य पितृपाद से यह सुनते आऐ हैं कि :-
#शङ्ख_बाजे_काल_भागे_शङ्खा_की_धुनि_तीनलोक_में_ध्वनि_सुनि।
#शङ्खा_की_बाज_बाजे_ठुत्रा_सौ_देवते_जागे।।
___विप्रवर समुन्दरदेव लिखित (टांकरीभाषा) संग्रहग्रन्थ से उद्धृत।
इनमें भी #दक्षिणावर्तशङ्ख का विशेष महत्त्व शास्त्रों में वर्णित है। इत्यलम्।
जय श्री राम।
हर हर महादेव।
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