Saturday, 2 September 2017

श्राद्ध का माहात्म्य

आत्मकल्याण हेतु श्राद्ध अवश्य करें -
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देवताओं से भी पितरों का माहात्म्य अधिक होता है । पहले पितर,  फिर देवता ।

इसलिये पितरों की उपासना अवश्य  विशेष ध्यान से  करनी चाहिये । नित्य , नैमित्तिक अथवा काम्य - हरेक प्रकार से पितर उपास्य होते  हैं ।   पितरों के तुष्ट होने पर भोग और मोक्ष दोनों मिलते हैं, मानव को धर्म , अर्थ  , काम और मोक्ष की प्राप्ति  होती है  किन्तु पितरों के रुष्ट होने पर  ही गृह क्लेश , अकाल मृत्यु, अशान्ति , व्याधि आदि उत्पन्न होकर हमारा सर्वनाश हो जा जाता है ।

न केवल हमारे प्राचीन ऋषि-मुनिजन अपितु  मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम जैसे समस्त क्षत्रियशिरोमणि राजादि भी बहुत महान् पितरोपासक थे ।

जीवन में अपने पितरों की महान्  सेवा करने  के लिये श्री  #गया जी में अवश्य श्राद्ध करें ।  गया जाने के लिए घर से निकलने पर चलने वाले एक-एक चरण पितरों के स्वर्गारोहण के लिए एक-एक सीढ़ी बनते जाते हैं -

#गृहाच्चलितमात्रस्य_गयायां_गमनं_प्रति ।
#स्वर्गारोहणसोपानं_पितृणां_तु_पदे_पदे ।।

रोज प्रातः जब भी स्नान करो तो तदनन्तर पितरों की उपासना अवश्य करनी चाहिये ।    पितरों का आशीर्वाद आपका सर्वविध मङ्गल करेगा ।

।। जय श्री  राम ।।

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