आत्मकल्याण हेतु श्राद्ध अवश्य करें -
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देवताओं से भी पितरों का माहात्म्य अधिक होता है । पहले पितर, फिर देवता ।
इसलिये पितरों की उपासना अवश्य विशेष ध्यान से करनी चाहिये । नित्य , नैमित्तिक अथवा काम्य - हरेक प्रकार से पितर उपास्य होते हैं । पितरों के तुष्ट होने पर भोग और मोक्ष दोनों मिलते हैं, मानव को धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है किन्तु पितरों के रुष्ट होने पर ही गृह क्लेश , अकाल मृत्यु, अशान्ति , व्याधि आदि उत्पन्न होकर हमारा सर्वनाश हो जा जाता है ।
न केवल हमारे प्राचीन ऋषि-मुनिजन अपितु मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम जैसे समस्त क्षत्रियशिरोमणि राजादि भी बहुत महान् पितरोपासक थे ।
जीवन में अपने पितरों की महान् सेवा करने के लिये श्री #गया जी में अवश्य श्राद्ध करें । गया जाने के लिए घर से निकलने पर चलने वाले एक-एक चरण पितरों के स्वर्गारोहण के लिए एक-एक सीढ़ी बनते जाते हैं -
#गृहाच्चलितमात्रस्य_गयायां_गमनं_प्रति ।
#स्वर्गारोहणसोपानं_पितृणां_तु_पदे_पदे ।।
रोज प्रातः जब भी स्नान करो तो तदनन्तर पितरों की उपासना अवश्य करनी चाहिये । पितरों का आशीर्वाद आपका सर्वविध मङ्गल करेगा ।
।। जय श्री राम ।।
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